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गुवाहाटी, 25 अगस्त (हि.स.)। असम नागरिक समाज द्वारा आयोजित नागरिक सम्मेलन में राज्यसभा सांसद अजीत कुमार भुइयां, बुद्धिजीवी हिरेन गोहाईं, परेश मालाकार और हरे कृष्ण डेका द्वारा दिए गए असम विरोधी बयानों की पूरे राज्य में व्यापक निंदा हो रही है।
भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पार्टी के मुख्य प्रवक्ता किशोर उपाध्याय, प्रवक्ता डॉ. जफरीन मेहजबीन और प्रांजल कलिता ने असम नागरिक समाज पर बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रति सहानुभूति जताने और स्वदेशी लोगों के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस समर्थित वामपंथी बुद्धिजीवी राज्य में शांति भंग करने और विदेशियों को पुनर्वास देने की साजिश में लगे हैं।
उपाध्याय ने पूर्व यूपीए सलाहकार प्रशांत भूषण, पूर्व एनएचआरसी सदस्य हर्ष मंदर, पूर्व योजना आयोग सदस्य सैयदा हामिद और पूर्व प्रसार भारती सीईओ जवाहर सरकार के बयानों को स्वदेशी अस्तित्व के लिए खतरा बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि सैयदा हामिद ने खुले तौर पर बांग्लादेशी घुसपैठियों के निष्कासन का विरोध किया और कांग्रेस शासनकाल में अवैध कब्जे को प्रोत्साहित किया।
उन्होंने कहा कि पुनर्वास के बाद भी कुछ बेदखल व्यक्ति अपने पुराने क्षेत्रों में मताधिकार की मांग कर रहे हैं, जो “असमिया समाज को पंगु बनाने और स्वदेशी भूमि पर कब्जा करने की खतरनाक साजिश” है।
भाजपा प्रवक्ता ने मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व को इन साजिशों को विफल करने का श्रेय देते हुए कहा कि इसी कारण कांग्रेस और उसके सहयोगी उन्हें निशाना बना रहे हैं। उन्होंने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के नेता मौलाना महमूद मदनी की भी आलोचना की, जिन्होंने एनआरसी का विरोध किया और सरमा को हटाने की मांग की थी। उपाध्याय ने बताया कि असम के विपक्षी नेता देबब्रत सैकिया ने भी जमीयत के रुख का समर्थन किया।
उन्होंने आरोप लगाया कि अजीत कुमार भुइयां कांग्रेस और एआईयूडीएफ के सहयोग से राज्यसभा पहुंचे और “असमिया स्वाभिमान से विश्वासघात” किया, जबकि हिरेन गोहाईं हमेशा असमिया अस्मिता के खिलाफ खड़े होकर राजनीतिक आकाओं को खुश करते रहे। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कांग्रेस समर्थित वामपंथी तत्वों ने सीएए आंदोलन के दौरान भी उपद्रव भड़काया और राष्ट्रीय संस्थाओं को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की।
संवाददाता सम्मेलन में उपाध्याय ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा से अपील की कि असम के स्वदेशी लोगों के खिलाफ काम करने वाले ऐसे सभी “बाहरी और साजिशकर्ताओं” की पहचान कर उन्हें जेल में डाला जाए।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश