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नई दिल्ली, 25 अगस्त (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भरता से समृद्ध भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं और अब समय आ गया है कि वे शोध और नवाचार में क्वांटम छलांग लगाकर विश्व मंच पर भारत को नेतृत्व दिलाएं।
प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को आईआईटी दिल्ली में आयोजित आईआईटी परिषद की 56वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। परिषद ने सर्वसम्मति से प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को अब क्रमिक बदलाव की नहीं बल्कि क्वांटम छलांग की आवश्यकता है। उन्होंने आईआईटी को केवल नौकरी तलाशने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले युवाओं को तैयार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आईआईटी को वास्तविक समस्याओं के समाधान और राष्ट्रीय महत्व की प्रौद्योगिकियों में ट्रांसलेशनल रिसर्च को बढ़ावा देना चाहिए।
उन्होंने इस अवसर पर यह भी रेखांकित किया कि आईआईटी देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व को आगे बढ़ाने में परिवर्तनकारी भूमिका निभा रहे हैं। आज आईआईटी छह हजार से अधिक स्टार्टअप्स, 56 यूनिकॉर्न और करीब पांच हजार पेटेंट के साथ भारत की आर्थिक वृद्धि के इंजन और आकांक्षाओं के प्रतीक बन चुके हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम रिसर्च फेलोशिप, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और रिसर्च पार्क जैसे उपक्रम आईआईटी की वैश्विक स्तर की शोध और उद्योग साझेदारी को गति दे रहे हैं। उन्होंने आईआईटी में क्षेत्रीय भाषाओं को माध्यम बनाकर शिक्षा को अधिक समावेशी बनाने पर भी जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर और समृद्ध भारत का मार्ग प्रौद्योगिकी, शोध और उद्यमिता से होकर गुजरता है और आईआईटी इस दिशा में भारत की सबसे बड़ी ताकत हैं।
बैठक में राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने कहा कि आईआईटी केवल शिक्षा के केंद्र नहीं बल्कि इनोवेशन, इन्क्लूजन और ट्रांसफॉर्मेशन के इंजन हैं, जो भारत को 2047 तक विकसित भारत बनाने की दिशा में अग्रसर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 23 आईआईटी, अंतरराष्ट्रीय कैंपस और जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्टम के साथ ये संस्थान विश्वस्तरीय तकनीकी विशेषज्ञ, उद्यमी और नेता तैयार कर रहे हैं।
बैठक में संसद सदस्य, उद्योग जगत के प्रतिनिधि, शिक्षा विशेषज्ञ, पूर्व इसरो अध्यक्ष, नीति आयोग के विशिष्ट फेलो, आईआईटी परिषदों के अध्यक्ष और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
बैठक में आईआईटी@2047 नामक रणनीतिक रोडमैप पर चर्चा की गई, जिसमें उच्च शिक्षा और शोध को वैश्विक मानकों के अनुरूप ढालने, पीएचडी शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के संदर्भ में पाठ्यक्रम और पद्धति में बदलाव, तथा शोध को वाणिज्यिक रूप देने पर विचार किया गया।
मानसिक स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवनशैली पर भी विशेष बल दिया गया। परिषद ने छात्रों के लिए वार्षिक स्वास्थ्य परीक्षण और सकारात्मक जीवनशैली अपनाने की पहल का समर्थन किया। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि उद्योग, अकादमिक जगत और नीतिनिर्माताओं के बीच मजबूत सहयोग से ट्रांसलेशनल रिसर्च और प्रोडक्ट डिवेलपमेंट को भारतीय कैंपस में बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए एक माह में ठोस नीति लाने का फैसला किया गया।
परिषद ने आईआईटी पूर्व छात्रों की वैश्विक उपलब्धियों और योगदान की सराहना की और सुझाव दिया कि एलुमनाई नेटवर्क का अधिकतम उपयोग कर छात्रों के लिए मार्गदर्शन, उद्योग संपर्क और अवसर सृजन किया जाए।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार