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नाहन, 23 अगस्त (हि.स.)। उत्तराखंड-हिमाचल सीमा पर स्थित श्रद्धा और शांति की नगरी पांवटा साहिब आज एक ऐतिहासिक और धार्मिक क्षण का साक्षी बनने जा रही है। यहां के पावन गुरुद्वारा साहिब में पहली बार पहला प्रकाश पर्व बड़े ही श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है।
गुरुद्वारा परिसर को दुल्हन की तरह सजाया गया है और श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने जानकारी दी है कि 24 अगस्त को दिनभर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा जिसमें गुरुबाणी पाठ, कीर्तन और गुरु की वाणियों का पाठ पूरे वातावरण को आध्यात्मिक रंगों से सराबोर करेगा।
पहला प्रकाश पर्व सिख धर्म के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व सन् 1604 में गुरु ग्रंथ साहिब जी की स्थापना की स्मृति में मनाया जाता है। उसी दिन अमृतसर स्थित विश्वप्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर (हरमंदिर साहिब) में गुरु ग्रंथ साहिब जी को पहली बार स्थापित किया गया था। स्वर्ण मंदिर, जिसे दरबार साहिब भी कहा जाता है, न केवल सिख समुदाय बल्कि विश्वभर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है।
हिन्दुस्थान समाचार / जितेंद्र ठाकुर