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- डॉ. मयंक चतुर्वेदी
भोपाल, 23 अगस्त (हि.स.)। मध्य प्रदेश आर्थिक दृष्टि से तेज़ी से प्रगति करता हुआ दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य को वित्तीय अनुशासन, पूंजीगत व्यय में निरंतर वृद्धि, निवेश को आकर्षित करने वाली नीतियों और निर्यात विस्तार जैसे मोर्चों पर पिछले दिनों में बड़ी सफलता मिली है, जिसका सफल परिणाम है कि आज मप्र न केवल राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान मजबूत कर रहा है बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी अपना योगदान बढ़ा रहा है।
पूंजीगत व्यय में उत्कृष्ट प्रदर्शन
इस संबंध में अर्थशास्त्री एवं प्रो. वाणिज्य अनिल शिवानी ने कहा, पूंजीगत व्यय के नजरिए से मध्य प्रदेश की समीक्षा करें तो सड़कें, पुल, औद्योगिक पार्क, सिंचाई परियोजनाएं, बिजली संयंत्र और शिक्षा-स्वास्थ्य जैसी आधारभूत संरचनाओं पर होने वाला निवेश ही भविष्य की स्थायी समृद्धि का आधार बनाता है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के हालिया आंकड़े भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 की प्रथम तिमाही में पूंजीगत व्यय में मप्र देश के शीर्ष तीन राज्यों में शामिल है। गुजरात ने जहाँ 65 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की वहीं उत्तर प्रदेश 42 प्रतिशत और मध्य प्रदेश 41 प्रतिशत की वृद्धि के साथ अग्रणी राज्य के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
उन्होंने कहा, यह आँकड़ा प्रमाण है कि सरकार ने वित्तीय संसाधनों का उपयोग दीर्घकालिक उत्पादक परिसंपत्तियों में किया है। यदि तुलना की जाए तो पिछले वर्ष की तुलना में यह खर्च अपेक्षाकृत बहुत बेहतर स्थिति में है और आंकड़ों में अधिक भी है। देखने में यही आ रहा है कि इस बार सरकार ने प्राथमिकताओं को बदलते हुए विकासोन्मुख व्यय को गति दी है।
केंद्र और राज्यों का संयुक्त प्रयास
प्रो. वाणिज्य शिवानी कहते हैं कि केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए पूंजीगत व्यय का लक्ष्य 11.2 लाख करोड़ रुपये रखा है। केवल पहली तिमाही में ही केंद्र ने 2.75 लाख करोड़ रुपये यानी लगभग 25 प्रतिशत खर्च कर लिया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में केवल 16 प्रतिशत खर्च हुआ था। मप्र ने इस राष्ट्रीय प्रवृत्ति का अनुसरण करते हुए अपने पूंजीगत व्यय को 41 प्रतिशत तक बढ़ाया। यह वृद्धि आने वाले वर्षों में राज्य की औद्योगिक संरचना, कृषि सुधार और सामाजिक विकास को एक नई दिशा देगी।
प्रति व्यक्ति आय में निरंतर वृद्धि
प्रो. शिवानी साथ में यह भी कहते हैं, आर्थिक समृद्धि का असली पैमाना है प्रति व्यक्ति आय। यही वह सूचक है जिससे आम नागरिक के जीवनस्तर में सुधार को मापा जाता है। इस दृष्टि से देखे तो राज्य ने पिछले एक दशक में इस क्षेत्र में भी शानदार प्रगति दर्ज की है। वर्ष 2011-12 में राज्य की प्रति व्यक्ति शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद (एनएसडीपी) मात्र 38,497 रुपये थी। वर्ष 2023-24 में यह बढ़कर 67,300 रुपये हो गई। यानी हर व्यक्ति की औसत आय लगभग दोगुनी हो गई है । निश्चित ही यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं ।
उन्होंने कहा, आज जो सामने दिख रहा है, वह मध्य प्रदेश की औसत वार्षिक वृद्धि दर 4.8% रही है, जो महाराष्ट्र (4.3%) और हरियाणा (4.6%) जैसे आर्थिक रूप से मजबूत राज्यों से भी अधिक है। यह आंकड़े बता रहे हैं कि मध्य प्रदेश देश के अन्य बड़े एवं मध्यश्रेणी के राज्यों में बहुत तेज गति से आर्थिक क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। इसका प्रमाण प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद भी है, इस संदर्भ में इसके आंकड़े भी देखे जा सकते हैं।
मप्र का सकल घरेलू उत्पाद एवं निर्यात
यहां अर्थशास्त्री एवं कॉमर्स विशेषज्ञ प्रो. बीएमएस भदौरिया का कहना है कि वर्ष 2023-24 में मप्र का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 13.53 लाख करोड़ रुपये था, जिसमें 11.05 फीसद की वृद्धि दर्ज हुई और यह बढ़कर 15.03 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया। सरकार ने वर्ष 2028-29 तक राज्य के जीडीपी को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। 2024-25 में प्रति व्यक्ति आय प्रचलित भावों पर 1,52,615 रुपये हो चुकी है। स्थिर भावों पर भी यह आय 70,434 रुपये है। यह आँकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि आर्थिक प्रगति का सीधा लाभ आम नागरिकों तक पहुँच रहा है।
अर्थशास्त्री प्रो. भदौरिया ने कहा, आर्थिक विकास के पैमानों में निर्यात की वृद्धि विशेष महत्व रखती है, क्योंकि यह राज्य की उत्पादन क्षमता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सूचक है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य ने अब तक का सबसे अधिक 66,218 करोड़ रुपये का निर्यात किया है। यह आँकड़ा 6 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। इस उपलब्धि के पीछे फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग गुड्स और सोया आधारित कृषि उत्पाद प्रमुख कारण रहे। उन्होंने कहा, इसे यदि संस्थाओं के नजरिए एवं आंकड़ों से देखें तो फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (एफआईईओ) की रिपोर्ट के अनुसार मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट में 66,218 करोड़ रुपये का योगदान रहा, जबकि स्पेशल इकोनॉमिक जोन (सेज) से आईटी कंपनियों ने 4,038 करोड़ रुपये का योगदान दिया। इस निर्यात वृद्धि का सबसे बड़ा प्रभाव यह हुआ कि राष्ट्रीय स्तर पर मप्र की रैंकिंग 15 से सुधारकर 11 हो गई।
प्रमुख निर्यात क्षेत्र को यदि देखें तो फार्मास्यूटिकल्स में 11,968 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ, मुख्य बाज़ार अमेरिका, फ्रांस रहे। वहीं, एनिमल फीड से 6,062 करोड़ रुपये, एल्युमिनियम से 4,795 करोड़ रुपये, मशीनरी के माध्यम से 5,497 करोड़ रुपये विशेष रूप से मप्र में आए। इसी तरह से कृषि उत्पाद व टेक्सटाइल में बांग्लादेश, यूएई, नीदरलैंड मुख्य बाजार के रूप में राज्य के लिए उभरे हैं। यानी सिर्फ घरेलू पूर्ति करने में ही नहीं राज्य ने अपने पारंपरिक कृषि उत्पादों के साथ-साथ उच्च तकनीकी और औद्योगिक क्षेत्रों में भी वैश्विक पहचान बनाई है, वह कई देशों में आज सीधा निर्यात कर रहा है। राज्य में धार, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, सागर और भोपाल आज निर्यात में फार्मा व फूड प्रोसेसिंग, आईटी और इंजीनियरिंग , कृषि व औद्योगिक उत्पाद सेक्टर से योगदान देने के लिए प्रमुखता से आगे आए हैं।
दिख रहा है निवेश मित्र नीतियों का सकारात्मक असर
प्रो. भदौरिया का यह भी कहना है कि मप्र सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में उद्योगों और निवेशकों के लिए कई नीतिगत सुधार किए हैं। भूमि आवंटन की सरल व्यवस्था, सिंगल विंडो क्लियरेंस, बिजली और परिवहन जैसी अधोसंरचना की उपलब्धता तथा कर प्रोत्साहन जैसी सुविधाओं ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है। सरकार का ध्यान केवल बड़े उद्योगों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि एमएसएमई सेक्टर और स्टार्टअप्स को भी प्रोत्साहित किया गया। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार और आय के अवसर पैदा हुए।
उन्होंने कहा, मप्र में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। इंदौर, भोपाल और ग्वालियर जैसे शहर आईटी हब के रूप में उभर रहे हैं। स्पेशल इकोनॉमिक जोन (सेज) से आईटी कंपनियों का निर्यात 4,038 करोड़ रुपये रहा, जो आने वाले समय में और बढ़ सकता है। सरकार ने डिजिटल अवसंरचना पर ध्यान देकर युवाओं के लिए नए अवसर सृजित किए हैं। इसके अलावा राज्य की मुख्य पहचान कृषि प्रधान राज्य के रूप में रही है, लेकिन हाल के वर्षों में सरकार ने कृषि आधारित औद्योगिकीकरण को प्राथमिकता दी है। फूड प्रोसेसिंग, सोया उत्पाद, डेयरी और कृषि निर्यात में वृद्धि इसी का परिणाम है। इससे किसानों को बेहतर मूल्य मिला और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई। मध्य प्रदेश ने अल्प समय में जिस तेज़ी से आर्थिक विकास किया है, वह इसे देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में लाकर खड़ा करता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी