मिट्टी की महक और मेहमाननवाज़ी से भरी पर्यटन विभाग की अनोखी फैम ट्रिप
महिलाओं की भागीदारी और हुनर ने ग्रामीण पर्यटन को दी नई पहचान लखनऊ, 22 अगस्त (हि.स.)। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित ग्रामीण पर्यटन कॉन्क्लेव-2025 के सफल आयोजन के अगले दिन शुक्रवार को प्रतिभागियों के लिए एक विशेष फैमिलियराइजेशन ट्रिप (फैम ट्
धूप बत्ती की दुकान


महिलाओं की भागीदारी और हुनर ने ग्रामीण पर्यटन को दी नई पहचान

लखनऊ, 22 अगस्त (हि.स.)। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित ग्रामीण पर्यटन कॉन्क्लेव-2025 के सफल आयोजन के अगले दिन शुक्रवार को प्रतिभागियों के लिए एक विशेष फैमिलियराइजेशन ट्रिप (फैम ट्रिप) का आयोजन किया गया। इस पहल का उद्देश्य प्रतिभागियों को गांव की असली खुशबू, परंपराओं और ग्रामीण जीवन की झलक से सीधे रूबरू कराना रहा। यात्रा के दौरान मेहमानों ने खेतों की पगडंडियों पर चलते हुए ग्रामीण परिवेश का अनुभव लिया, पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद चखा, लोककला और संस्कृति को करीब से देखा तथा स्वयं सहायता समूहों के हुनर की सराहना की।

यह फैम ट्रिप न केवल ग्रामीण मेहमाननवाज़ी का जीवंत उदाहरण बनी, बल्कि इसने यह भी दर्शाया कि कैसे राज्य सरकार की नीतिगत दृष्टि को जमीनी अनुभवों और व्यवहारिक पर्यटन मॉडल से जोड़ा जा सकता है। दिनभर की इस यात्रा में प्रतिभागियों ने जनपद लखनऊ के बक्शी का तालाब स्थित कठवारा गांव के इकिगाई और चंद्रकांता फार्म स्टे तथा बाराबंकी के ग्रो फार्म स्टे का दौरा किया। यहां उन्हें पारंपरिक भोजन और ग्रामीण मेज़बानी का अनुभव मिला, साथ ही स्वयं सहायता समूहों द्वारा किए जा रहे हस्तशिल्प और स्थानीय उद्यम भी देखने को मिले। इस फैम ट्रिप में प्रदेश के 40 से अधिक फार्म स्टे और होम स्टे संचालकों ने हिस्सा लिया।

इसमें पीलीभीत के राजेंद्र गुप्ता, अनिल शाही, मुजाहिद अली, प्रयागराज के बीके दिवेदी, तन्मय अग्रवाल, सार्थक, देवेंद्र कुमार तिवारी, कन्नौज के संदीप कुमार कटियार, फर्रुखाबाद के अजय कुमार सिंह, महेश सिंह, कानपुर के राज किशोर, मथुरा से संतोषी शर्मा, यशवीर सिंह, झांसी से सियाराम, विजय शंकर मिश्र, अनिल कुमार, जालौन से उदय प्रताप सिंह, सुरेंद्र प्रताप सिंह, आगरा से रागिनी, पीलीभीत से साहेब सिंह, मोबीन आरिफ, ज्ञान दीक्षित और लखीमपुर खीरी से पूजा डोंग शामिल रहीं।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा,“गांव केवल भौगोलिक स्थान नहीं हैं, बल्कि भारत की जीवंत धरोहर और असली पहचान हैं। हमारी परंपराएं, संस्कृति और मूल जीवनशैली गांवों से ही निकलकर दुनिया तक पहुँचती हैं। ग्रामीण पर्यटन न केवल भारत की नई वैश्विक पहचान बनेगा, बल्कि यह हमारे समुदायों को रोजगार, आत्मनिर्भरता और गौरव की नई राह भी दिखाएगा। आने वाले समय में गांव ही पर्यटन के सबसे बड़े आकर्षण और भारत की सॉफ्ट पावर साबित होंगे।”

पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम ने कहा कि ग्रामीण पर्यटन भारत की “सॉफ्ट पावर” है। यह केवल एक आर्थिक गतिविधि भर नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और जीवनशैली को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि गांवों की मेहमाननवाज़ी, उनकी कला, उनका भोजन और उनकी जीवनशैली ही भारत की असली पहचान है, और इन्हें वैश्विक स्तर पर पहुंचाने में ग्रामीण पर्यटन अहम भूमिका निभाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन