ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी जीनें हृदय रोग में भी निभा रही अहम भूमिका: डॉ. कृष्ण कुमार सिंह
—बीएचयू में स्तन कैंसर से जुड़ी मानी जाने वाली बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 जीन पर मंथन वाराणसी, 22 अगस्त (हि.स.)। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के जंतु विज्ञान विभाग में शुक्रवार को आयोजित एक विशेष व्याख्यान में जीन विज्ञान और हृदय रोग पर विशेष चर्चा
विशेष व्याख्यान


—बीएचयू में स्तन कैंसर से जुड़ी मानी जाने वाली बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 जीन पर मंथन

वाराणसी, 22 अगस्त (हि.स.)। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के जंतु विज्ञान विभाग में शुक्रवार को आयोजित एक विशेष व्याख्यान में जीन विज्ञान और हृदय रोग पर विशेष चर्चा हुई । कनाडा स्थित वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के मेडिकल बायोफिजिक्स विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कृष्ण कुमार सिंह ने अपने शोध निष्कर्ष साझा करते हुए बताया कि अब तक स्तन कैंसर (ब्रेस्ट कैंसर) से जुड़ी मानी जाने वाली बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 जीनें, दरअसल, हृदय रोगों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

डॉ. सिंह ने बताया कि बीआरसीए-1 जीन हृदय के सामान्य कार्यों के लिए आवश्यक है, जबकि बीआरसीए-2 जीन लिपिड नियंत्रण, सूजन (इंफ्लेमेशन) और कोरोनरी धमनी रोगों में प्रमुख भूमिका निभाता है। इसके अलावा, बीआरसीए-2 कार्डियोमायोसाइट की मृत्यु (एपोप्टोसिस) और दिल के दौरे (हार्ट अटैक) में भी योगदान देता है।

उन्होंने अपने एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनी सख्त होने की बीमारी) पर किए गए अध्ययन के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि इस शोध में 530 जीनों की पहचान की गई, जिनमें 188 जीन अप-रेगुलेटेड और 342 डाउन-रेगुलेटेड पाए गए। यह खोज हृदय रोगों की आणविक (मॉलिक्यूलर) समझ को गहराई देने के साथ-साथ नई चिकित्सीय रणनीतियों के लिए रास्ता खोल सकती है।

—शोध यात्रा का प्रेरणादायक सफर

बीएचयू से अपनी शैक्षणिक यात्रा शुरू करने वाले डॉ. कृष्ण कुमार सिंह ने गोवा विश्वविद्यालय से बायोटेक्नोलॉजी में एमएससी और फिर जर्मनी के हनोवर मेडिकल स्कूल से मॉलिक्यूलर मेडिसिन में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने टोरंटो विश्वविद्यालय में सर्जरी विभाग में पोस्टडॉक्टोरल फेलोशिप पूरी की। उनकी शोध यात्रा हृदय रोगों के आणविक तंत्र को समझने और नये चिकित्सीय लक्ष्यों की पहचान पर केंद्रित रही है। डॉ. सिंह के 100 से अधिक शोधपत्र नेचर कम्युनिकेशंस, द जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल केमिस्ट्री, ह्यूमन म्यूटेशन और एजिंग सेल जैसे विश्वविख्यात जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्हें अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के विवियन थॉमस यंग इन्वेस्टिगेटर अवार्ड और हार्ट एंड स्ट्रोक फाउंडेशन ऑफ कनाडा के नेशनल न्यू इन्वेस्टिगेटर अवार्ड जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उनकी शोध परियोजनाओं को कैनेडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ रिसर्च और हार्ट एंड स्ट्रोक फाउंडेशन ऑफ कनाडा से अनुदान भी प्राप्त हैं।

—विद्यार्थियों को मिली नई दिशा

कार्यक्रम की अध्यक्षता जंतु विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. सिंगरवेल ने की। उन्होंने डॉ. सिंह को प्रेरक व्याख्यान और विश्वविद्यालय से भावनात्मक जुड़ाव बनाए रखने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि यह आयोजन विद्यार्थियों को शोध की नई दिशा प्रदान करेगा।

कार्यक्रम का संचालन विभाग की शोध छात्रा तन्वी ने किया। इस अवसर पर प्रो. राजीव रमन, प्रो. रजनीकांत मिश्र, डॉ. समीर गुप्ता, डॉ. सदानंद पांडे और डॉ. भूपेन्द्र कुमार सहित विभाग के कई शिक्षक व छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी