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अररिया 22 अगस्त(हि.स.)।फारबिसगंज पीडब्ल्यूडी के प्रांगण में इंद्रधनुष साहित्य परिषद की ओर से शुक्रवार को हिंदी साहित्य के महान व्यंग्यकार हरिशंकर परसाईं की जयंती समारोह पूर्वक मनाई गई।
सर्वप्रथम उपस्थित साहित्यकारों एवं साहित्य प्रेमियों के द्वारा हरिशंकर परसाई की तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पण कर नमन किया गया। उसके बाद उपस्थित साहित्यकार पूर्व शिक्षक हरिशंकर झा , संस्थापक सचिव विनोद कुमार तिवारी, सुनील दास, हिंदी सेवी अरविंद ठाकुर, हरि नंदन मेहता ने हरिशंकर परसाई के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
वक्ताओं ने बताया कि हरिशंकर परसाई का जन्म 22 अगस्त 1922 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में हुआ था और उनकी मृत्यु 10 अगस्त 1995 को जबलपुर में हुआ था। उन्होंने व्यंग्य विधा को एक नई पहचान दी। उन्हें 1982 में विकलांग श्रद्धा का दौर के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार और शोषण पर करारा व्यंग्य किया जो हिंदी साहित्य में अनूठा है। उनकी कृतियों में कर्म, जैसे उनके दिन फिरे, रानी नाग फनी की कहानी , बेईमानी की परत, भूत के पांव पीछे , तिरछी रेखाएं, ठिठुरता गणतंत्र , सदाचार का ताबीज आदि प्रमुख हैं। वक्ताओं ने उनकी कहानी भोलाराम का जीव और एक बेचारा आदमी की विशेष चर्चा की ।
इस अवसर पर फारबिसगंज डुमरिया निवासी पूर्व संस्कृत शिक्षक पंडित शशिकान्त झा को उनके उल्लेखनीय सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए परिषद की ओर से रेवा प्रसाद द्विवेदी स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया।उन्हें अंग वस्त्र, धार्मिक और साहित्यिक पुस्तकें प्रदान कर सम्मानित किया गया।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल कुमार ठाकुर