पौंग डैम से पानी छोड़ने पर बीबीएमबी के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर : सुक्खू
शिमला, 22 अगस्त (हि.स.)। कांगड़ा जिला में पौंग डैम से बार-बार अत्यधिक पानी छोड़े जाने और उससे होने वाले भारी नुकसान का मुद्दा शुक्रवार को विधानसभा में गूंजा। इंदौरा के विधायक मलेन्द्र राजन द्वारा नियम 62 के तहत लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब देते
सदन में मुख्यमंत्री


शिमला, 22 अगस्त (हि.स.)। कांगड़ा जिला में पौंग डैम से बार-बार अत्यधिक पानी छोड़े जाने और उससे होने वाले भारी नुकसान का मुद्दा शुक्रवार को विधानसभा में गूंजा। इंदौरा के विधायक मलेन्द्र राजन द्वारा नियम 62 के तहत लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि इस लापरवाही पर सरकार ने बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। संसारपुर टैरेस में बीबीएमबी प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई है और भविष्य में भी इसी तरह की लापरवाही पर कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बार-बार कहने के बावजूद बीबीएमबी द्वारा डैम सिक्योरिटी के जरूरी उपाय नहीं अपनाए जा रहे हैं। हर साल मानसून के दौरान पौंग डैम से अचानक अधिक पानी छोड़ा जाता है जिससे निचले इलाकों में तबाही मचती है। उन्होंने कहा कि डैम सिक्योरिटी के मामले में अब अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि इस तरह की स्थिति में तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए।

सुक्खू ने कहा कि पौंग डैम से पानी छोड़े जाने के कारण इस बार फतेहपुर और इंदौरा क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। फतेहपुर में करीब 60 हेक्टेयर जमीन पर खड़ी फसलें नष्ट हुईं और 23 परिवारों को रेस्क्यू करना पड़ा। वहीं, इंदौरा क्षेत्र में लगभग 100 हेक्टेयर कृषि भूमि को नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि बरसात के मौसम में पौंग डैम का पानी हमेशा तबाही लेकर आता है लेकिन बीबीएमबी इसकी भरपाई नहीं करता।

मुख्यमंत्री ने भावुक होते हुए कहा कि “पानी भी हमारा और सबसे ज्यादा विस्थापित भी हम ही हुए, मगर आज तक हमें हमारा हक नहीं मिला।” उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार अपने अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रही है, जिसकी सुनवाई सितंबर महीने में होनी है। बावजूद इसके बार-बार केन्द्र सरकार से गुहार लगाने के बाद भी हमारे हक का समाधान नहीं किया जा रहा। उन्होंने कहा कि बीबीएमबी की तीन बड़ी परियोजनाओं से बिजली और पानी तो मिल रहा है, लेकिन इसके निर्माण के लिए हिमाचल उजड़ गया और हजारों लोग विस्थापित हुए। फिर भी प्रभावित परिवारों को राहत और मुआवजा नहीं मिल पा रहा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर डैम सिक्योरिटी कमेटी बनी हुई है और उसकी गाइडलाइन स्पष्ट है, लेकिन बीबीएमबी इसकी अनुपालना नहीं करता। ऊर्जा निदेशालय लगातार इस मामले को उठाता रहा है, फिर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। उन्होंने चेतावनी दी कि अब सरकार ऐसे मामलों में बीबीएमबी को जवाबदेह बनाएगी और हर नुकसान की भरपाई करवाई जाएगी।

इससे पहले इंदौरा के विधायक मलेन्द्र राजन ने कहा कि पौंग डैम से अचानक छोड़े गए पानी से इस बार उनकी 13 पंचायतें प्रभावित हुई हैं। आज सुबह ही 100 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला गया और 42 स्कूल बंद पड़े हैं। धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है, कई गौशालाएं बह गई हैं, चार पक्के और पांच कच्चे मकान ढह गए हैं और कई एकड़ जमीन तालाब में बदल गई है। उन्होंने सरकार से मांग की कि प्रभावित लोगों को बीबीएमबी से पूरा मुआवजा दिलाया जाए, उच्च स्तरीय संयुक्त कमेटी क्षेत्र का मुआयना करे और इस इलाके को विशेष आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित किया जाए।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा