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कोलकाता, 22 अगस्त (हि. स.)। कोलकाता के बउबाजार इलाके में ईस्ट-वेस्ट मेट्रो टनलिंग के कारण बार-बार जमीन धंसने की घटनाओं से प्रभावित 200 से अधिक निवासी शुक्रवार को धरने पर बैठ गए । प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पिछले छह वर्षो से प्रशासन की लापरवाही और उदासीनता की वजह से वे अपने पुश्तैनी घरों से दूर रहने को मजबूर हैं और अभी तक कोई समुचित रूप से व्यवस्था भी नहीं की गई है।
स्थानीय तृणमूल कांग्रेस पार्षद विश्वरूप डे ने कहा कि एस्प्लानेड-सियालदह मेट्रो रूट पर दुर्गा पिटुरी लेन के कई पुराने मकानों में गंभीर दरारें आ चुकी हैं। इस वजह से कई परिवारों को किराए के मकानों या रिश्तेदारों के यहां शरण लेनी पड़ी है।
धरने में शामिल सौरव मुखर्जी, जो प्रभावित परिवारों में से एक हैं उन्होंने सवाल उठाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब तीन नए मेट्रो रूट का उद्घाटन कर दिया है, जिनमें एस्प्लानेड-सियालदह लाइन भी शामिल है, तो हम कब अपने घरों में लौट पाएंगे? आखिर हमारी गलती क्या है कि हमें इतने सालों से सज़ा भुगतनी पड़ रही है?
एक अधिकारी ने बताया कि कोलकाता मेट्रो रेलवे कॉरपोरेशन लिमिटेड जल्द ही प्रभावित घरों के पुनर्निर्माण और मरम्मत के लिए टेंडर जारी करेगा। इसके लिए कोलकाता नगर निगम की बिल्डिंग विभाग से मंज़ूरी भी मिल चुकी है।
पार्षद डे ने केएमसी सत्र में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि है कि प्रभावित लोग असहनीय कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं और मेट्रो रेलवे की देरी ने उनका भविष्य अनिश्चित कर दिया है।
गौरतलब है कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोलकाता में तीन नई मेट्रो रूट का उद्घाटन किया। इसमें पहली बार नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे तक सीधी मेट्रो कनेक्टिविटी भी शामिल है। कुल 13.61 किलोमीटर लंबा यह नेटवर्क ‘ग्रीन’, ‘येलो’ और ‘ऑरेंज’ लाइनों में फैला हुआ है, जिसे कोलकाता मेट्रो की 1984 में शुरू हुई यात्रा का ऐतिहासिक पड़ाव माना जा रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार / अनिता राय