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नई दिल्ली, 18 अगस्त (हि.स.)। राज्य सभा में सोमवार को शून्य काल के दौरान भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने ऐतिहासिक आक्रांताओं के नाम पर रखी गई सड़कों के नाम बदलने की आवश्यकता
का मुद्दा उठाया। विपक्ष के शोर शराबे के बीच उन्होंने कहा कि देश में आज भी कई सड़कें, स्थान और संस्थान ऐसे विदेशी आक्रांताओं और अत्याचारियों के नाम पर हैं, जिन्होंने भारत पर हमले किए और यहां के लोगों पर अत्याचार किए। इन नामों को बनाए रखना न केवल उन अत्याचारियों को महिमा मंडित करता है, बल्कि हमारे सांस्कृतिक मूल्यों को मिटाने का भी खतरा उत्पन्न करता है।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्थलों के नाम उन भारतीय नायकों के बलिदान, योगदान और मूल्यों को प्रतिबिंबित करें, जिन्होंने हमारे गौरव की रक्षा की, न कि उन लोगों को जो हमारी गरिमा को रौंदते हुए हमारे देश को हानि पहुंचाने का प्रयास करते रहे।
कुछ वर्ष पहले एक सकारात्मक उदाहरण हमारे सामने आया जब दिल्ली की औरंगज़ेब रोड का नाम बदलकर डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम रोड रखा गया, जो जनता के राष्ट्रपति के रूप में देश के हर नागरिक के लिए ज्ञान, विनम्रता और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बने। महाराष्ट्र में औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर रखा गया, जो छत्रपति संभाजी महाराज के बलिदान को स्मरण कराता है, जिन्होंने औरंगजेब की क्रूरता का डटकर सामना किया और धर्म व राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है कि ऐसे आक्रांताओं के नामों को बनाए रखना हमारी भावी पीढ़ियों को गलत संदेश देता है। यह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों, संतों, विद्वानों, वैज्ञानिकों, योद्धाओं और समाज सुधारकों के योगदान और बलिदानों का अपमान है, जिन्होंने अपने परिश्रम, संकल्प और समर्पण से भारत की नींव मजबूत की।
उन्होंने कहा कि
यह केवल नाम बदलने का मुद्दा नहीं है, यह राष्ट्रीय पहचान और ऐतिहासिक न्याय का प्रश्न है। यह हिन्दू और मुसलमान का भी मुद्दा नही है। उन्होंने गृह मंत्रालय से आग्रह किया कि देशभर में ऐसे नामों की समीक्षा कर एक संगठित प्रक्रिया के तहत उन्हें बदला जाए।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी