भारतीय भाषाओं में शिक्षण और अधिगम को बढ़ावा देने के लिए सरकार की व्यापक पहल : जयंत चौधरी
नई दिल्ली, 18 अगस्त (हि.स.)। केंद्र सरकार ने स्कूली और उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षण और अधिगम को बढ़ावा देने के लिए कई दिशानिर्देश और योजनाएं बनाई हैं। यह जानकारी सोमवार को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी गई। भाजपा सदस्य डॉ. सं
भारतीय भाषाओं में शिक्षण और अधिगम को बढ़ावा देने के लिए सरकार की व्यापक पहल : जयंत चौधरी


नई दिल्ली, 18 अगस्त (हि.स.)। केंद्र सरकार ने स्कूली और उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षण और अधिगम को बढ़ावा देने के लिए कई दिशानिर्देश और योजनाएं बनाई हैं। यह जानकारी सोमवार को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी गई।

भाजपा सदस्य डॉ. संबित पात्रा के एक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री जयंत चौधरी ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की अनुशंसाओं के अनुरूप बहुभाषावाद को शिक्षा प्रणाली में एक मूलभूत सिद्धांत के रूप में शामिल किया गया है। शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा स्कूली शिक्षा में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए कई प्रमुख कदम उठाए गए हैं। इनमें एनसीईआरटी द्वारा कक्षा की पुस्तकों का 22 भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है, जिन्हें राज्यों और सभी स्कूल प्रणालियों द्वारा उपयोग किया जा सकता है। निष्ठा प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षकों को भारतीय भाषाओं की पढ़ाई और भाषा-शिक्षण पद्धतियों पर विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रारंभिक कक्षाओं के लिए सभी भारतीय भाषाओं में प्राइमर (शुरुआती किताबें) विकसित की गई हैं, जो 117 मातृभाषाओं को कवर करती हैं। भाषा संगम कार्यक्रम के तहत स्कूलों में बच्चों को 22 अनुसूचित भाषाओं में 100 वाक्य सिखाए जा रहे हैं, जिससे भाषाई विविधता और आपसी सम्मान को बढ़ावा मिले। ‘जादुई पिटारा’ सामग्री, जिसमें खिलौने, पोस्टर, स्टोरीबुक्स, कार्ड्स आदि शामिल हैं, अब 22 भारतीय भाषाओं में डिजिटल रूप में भी उपलब्ध है।

भारतीय भाषा उत्सव और भारतीय भाषा समर कैंप (बीबीएससी 2025) जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से भी भाषाई एकता को प्रोत्साहित किया जा रहा है। बीबीएससी में अब तक 5.26 करोड़ से अधिक छात्रों की भागीदारी दर्ज की गई है, जो 74 भाषाओं में संवाद कौशल विकसित कर रहे हैं। उच्च शिक्षा में भी भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने के लिए 'अस्मिता' परियोजना शुरू की गई है, जिसके अंतर्गत 22 भाषाओं में स्नातक स्तर के लिए 22,000 पाठ्यपुस्तकों के लेखन और अनुवाद की योजना बनाई गई है। अब तक 1,089 लेखकों की पहचान की जा चुकी है। मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि शिक्षा एक समवर्ती सूची का विषय है, इसलिए राज्यों को स्थानीय आवश्यकताओं और भाषाई विविधता के अनुरूप बहुभाषावाद को लागू करने की स्वतंत्रता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार