शुभेंदु अधिकारी ने तृणमूल-प्रशासन गठजोड़ पर उठाए सवाल, चुनाव आयोग को पत्र लिखकर की कड़ी कार्रवाई की मांग
कोलकाता, 18 अगस्त (हि.स.)। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में प्रशासनिक अधिकारियों की निष्पक्षता को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखकर तृणमूल कांग्रेस और प्रशासन के
तृणमूल Vs शुभेंदु अधिकारी


कोलकाता, 18 अगस्त (हि.स.)। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में प्रशासनिक अधिकारियों की निष्पक्षता को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखकर तृणमूल कांग्रेस और प्रशासन के बीच “अस्वाभाविक गठजोड़” के गंभीर आरोप लगाए हैं।

अधिकारी ने 16 अगस्त को पूर्व बर्दवान में आयोजित ‘खेला होबे’ दिवस समारोह का हवाला देते हुए कहा कि इस कार्यक्रम के मंच पर जिलाधिकारी (डीएम) आयशा रानी (आईएएस) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) सायक दास (आईपीएस) तृणमूल नेताओं के साथ मौजूद थे। मंच पर पार्टी के झंडे और प्रतीक लगे थे, जो अधिकारी के अनुसार चुनाव कराने के जिम्मेदार अधिकारियों के लिए आचार संहिता का सीधा उल्लंघन और राजनीतिक झुकाव का स्पष्ट प्रमाण है।

शुभेंदु अधिकारी ने अपने पत्र में लिखा कि ऐसे वरिष्ठ अधिकारियों की राजनीतिक उपस्थिति आने वाले विधानसभा चुनाव की निष्पक्षता को खतरे में डालती है। उन्होंने चुनाव आयोग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए तीन प्रमुख कदम सुझाए हैं —

1. आयशा रानी और सायक दास जैसे राजनीतिक झुकाव वाले अधिकारियों को किसी भी चुनावी दायित्व से तुरंत हटाया जाए।

2. इनके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

3. चुनाव प्रक्रिया से ऐसे सभी “समझौता कर चुके अधिकारियों” को अलग रखने के लिए स्थायी तंत्र विकसित किया जाए।

अधिकारी ने यह भी रेखांकित किया कि सचिव स्तर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी आयशा रानी, शरद द्विवेदी, सुमित गुप्ता, मुक्‍ता आर्या और विजय भारती—नियमों के विपरीत तरीके से जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) का कार्यभार संभाल रहे हैं। शुभेंदु अधिकारी ने चुनाव आयोग से इस “अनियमित व्यवस्था” को भी तुरंत दुरुस्त करने की मांग की है।

अधिकारी ने अपने ट्वीट में चुनाव आयोग और पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को टैग कर यह स्पष्ट किया है कि राज्य में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक रूप से प्रभावित अधिकारियों को हटाना अब बेहद जरूरी हो गया है।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर