उत्तराखंड में नैनीताल के साथ ही जन्मी फोटोग्राफी
नैनीताल, 18 अगस्त (हि.स.)। हर कोण से एक अलग सुंदरता के लिए पहचानी जाने वाली और इस लिहाज से ‘फोटोजेनिक’ कही जाने वाली सरोवरनगरी नैनीताल के साथ यह संयोग ही है कि जिस वर्ष 1839 में अंग्रेज व्यापारी पीटर बैरन द्वारा पहली बार नैनीताल आने की बात कही जाती ह
1855 में खींचे गये नगर के सबसे पुराने चित्र।


नैनीताल के 1850 में खींचे गये टेलीग्राफ ऑफिस


नैनीताल, 18 अगस्त (हि.स.)। हर कोण से एक अलग सुंदरता के लिए पहचानी जाने वाली और इस लिहाज से ‘फोटोजेनिक’ कही जाने वाली सरोवरनगरी नैनीताल के साथ यह संयोग ही है कि जिस वर्ष 1839 में अंग्रेज व्यापारी पीटर बैरन द्वारा पहली बार नैनीताल आने की बात कही जाती है, उसी वर्ष न केवल ‘फोटोग्राफी’ शब्द अस्तित्व में आया, वरन उसी वर्ष फोटोग्राफी का औपचारिक तौर पर आविष्कार भी हुआ। इसके साथ ही फोटोजेनिक नैनीताल में अंग्रेजों के साथ ही फोटोग्राफी बहुत जल्दी पहुंच भी गई।

1850 में अंग्रेज छायाकार डा. जॉन मरे और कर्नल जेम्स हेनरी एर्सकिन रेड (मैकनब कलेक्शन) को नैनीताल में सर्वप्रथम फोटोग्राफी करने का श्रेय दिया जाता है। उनके द्वारा खींचे गए नैनीताल के कई चित्र ब्रिटिश लाइब्रेरी में आज भी सुरक्षित हैं। 1860 में नगर के मांगी साह ने पहले स्थानीय भारतीय के रूप में फोटोग्राफी की शुरुआत की। 1921 में नगर के सबसे पुराने सीआरएसटी इंटर कॉलेज के तत्कालीन प्रबंधक चंद्रलाल साह ठुलघरिया ने नगर के छायाकारों की फ्लोरिस्ट लीग की स्थापना की, जबकि देश में इसके कहीं बाद 1991 से विश्व फोटाग्राफी दिवस मनाने की शुरुआत हुई।

नैनीताल के ख्याति प्राप्त फोटोग्राफरों की बात करें तो इनमें परसी साह व एनएल साह आदि का नाम भी आदर के साथ लिया जाता है, जबकि हालिया दौर में अनूप साह अंतराष्ट्रीय स्तर के छायाकार हैं, जबकि देश के अपने स्तर के इकलौते विकलांग छायाकार दिवंगत बलवीर सिंह, अमित साह व एएन सिंह ने भी फोटोग्राफी में खूब नाम कमाया है। इधर राजीव दुबे, अमित साह, कुबेर सिंह डंगवाल व हिमांशु जोशी सहित अनेक अन्य छायाकार भी इस विधा में सक्रिय हैं।

इसलिए 19 अगस्त को मनाया जाता है विश्व फोटोग्राफी दिवस

नैनीताल। सर्वप्रथम 1839 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक लुईस जेकस तथा मेंडे डाग्युरे ने फोटो तत्व को खोजने का दावा किया था। फ्रांसीसी वैज्ञानिक आर्गो ने 9 जनवरी 1839 को फ्रेंच अकादमी ऑफ साइंस के लिए इस पर एक रिपोर्ट तैयार की। फ्रांस सरकार ने यह “डाग्युरे टाइप प्रोसेस” रिपोर्ट खरीदकर उसे आम लोगों के लिए 19 अगस्त 1939 को फ्री घोषित की और इस आविष्कार को ‘विश्व को मुफ्त’ उपलब्ध कराते हुए इसका पेटेंट खरीदा था। यही कारण है कि 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है।

यह भी उल्लेखनीय है कि 1839 में ही वैज्ञानिक सर जॉन एफ डब्ल्यू हश्रेल ने पहली बार ‘फोटोग्राफी’ शब्द का इस्तेमाल किया था। यह एक ग्रीक शब्द है, जिसकी उत्पत्ति फोटोज (लाइट) और ग्राफीन यानी उसे खींचने से हुई है। हालांकि इससे पूर्व 1826 में नाइसफोर ने हेलियोग्राफी के तरीके से पहले ज्ञात स्थायी चित्र को कैद किया था और ब्रिटिश वैज्ञानिक विलियम हेनरी फॉक्सटेल बोट ने नेगेटिव-पॉजीटिव ढूँढ ली थी। 1834 में टेल बॉट ने लाइट सेंसेटिव पेपर यानी रोशनी संवेदी कागज का आविष्कार किया जिससे खींचे चित्र को स्थायी रूप में रखने की सुविधा प्राप्त हुई।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी