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काठमांडू, 18 अगस्त (हि.स.)। उच्च न्यायालय 19 साल पहले एक हिंसक झड़प के दौरान 27 माओवादी कार्यकर्ताओं की सामूहिक हत्या के आरोप में सोमवार को पूर्व उपप्रधानमंत्री उपेन्द्र यादव के खिलाफ दोबारा जांच कराने का आदेश दिया है। पूर्व माओवादी नेता प्रभु साह की याचिका पर न्यायाधीश तिल बहादुर श्रेष्ठ और नित्यानंद पांडे की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है।
याचिका में इस घटना के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सहित अन्य सभी जांच आयोग में मधेशी जनाधिकार फोरम के तत्कालीन अध्यक्ष उपेन्द्र यादव को इस हत्याकांड का मुख्य योजनाकार बताया है। इन्हीं रिपोर्ट के आधार पर पूर्व माओवादी नेता प्रभु साह ने सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर की थी।
उपेन्द्र यादव इस समय जनता समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष हैं तथा हाल ही में उन्होंने ओली सरकार को दिए जा रहे समर्थन को वापस लेने का निर्णय किया था।
पार्टी के प्रवक्ता मनीष सुमन ने सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले को राजनीतिक प्रतिशोध बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार से समर्थन वापस लेने के कारण सरकार राष्ट्रीय सभा में अल्पमत में आ गई थी, इसलिए दबाव देने के लिए अचानक 19 वर्ष पहले की घटना को फिर से जीवित किया गया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर करने वाले पूर्व माओवादी नेता एवं वर्तमान सांसद प्रभु साह ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद इस सामूहिक नरसंहार में मारे गए लोगों के परिवारों में न्याय की उम्मीद जगी है। उन्होंने कहा कि उस हत्याकांड के मुख्य दोषी उपेन्द्र यादव हैं, जिन्हें कानूनी दायरे में लाना ही होगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास