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काठमांडू, 18 अगस्त (हि.स.)। नेपाल में राजशाही प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले दुर्गा प्रसाई ने सोमवार को दावा किया कि वह 28 मार्च को काठमांडू के तिनकुने विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस अधिकारियों के निशाने पर थे, क्योंकि पुलिस को मेरा एनकाउंटर करने का निर्देश दिया गया था। प्रसाई को इस हिंसक घटना का मुख्य आरोपित बनाया गया है, जो इस समय जमानत पर बाहर हैं।
भक्तपुर में अपने आवास पर एक संवाददाता सम्मेलन में प्रसाई ने कहा कि अगर वो भारत नहीं भागे होते तो पुलिस अब तक उनका एनकाउंटर कर चुकी होती। उन्होंने कहा कि नेपाल पुलिस उन्हें भारत के असम से पकड़ कर नहीं लाई है, बल्कि उन्होंने सीमा तक आकर नेपाल पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया। उन्होंने दावा किया कि भारत में भी उन्हें मारने के लिए सादे कपड़ों में पुलिस की टीम उन्हें कई स्थानों पर ढूंढ रही थी।
उन्होंने काठमांडू में राजशाही के पक्ष में हुए आंदोलन के हिंसक रूप लेने के पीछे सरकार का षडयंत्र होने का आरोप लगाया है। दुर्गा प्रसाई ने कहा कि सरकार ने शांतिपूर्ण राजशाही प्रदर्शन को हिंसक बनाने के लिए पूरी योजना बनाई थी, जिसके बाद वहां हिंसक झड़प हुई। उन्होंने कहा कि सादे कपड़ों में पुलिस मुझे मंच पर ही मारना चाहती थी। तभी मैदान के चारों ओर ऊंची-ऊंची इमारतों पर पुलिस को पहले ही तैनात कर दिया गया था। मुठभेड़ को अंजाम देने के लिए पुलिस की चार टीमों को तैनात किया गया था। अगर मैं उस दिन बच नहीं पाता तो मैं मारा जाता। प्रसाई ने कहा कि कर्फ्यू लगाये जाने से पहले ही मैं काठमांडू से निकल चुका था।
तिनकुने हिंसक घटना में सरकार ने प्रसाई को मुख्य योजनाकार बताते हुए उनके खिलाफ जिला अदालत काठमांडू में मुकदमा दायर किया है। तीन महीने तक न्यायिक हिरासत में रहने के बाद एक महीने पहले उन्हें मेडिकल ग्राउंड पर जमानत दी गई है। हिरासत से बाहर आने के बाद आज पहली बार उन्होंने सार्वजनिक रूप से मीडिया के साथ संवाद किया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास