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- लंबे समय से अटकी फाइलों पर प्रशासन सख्त, अब तेजी से निपटाए जाएंगे मामले
मीरजापुर, 18 अगस्त (हि.स.)। जनपद के 80 गांवों में चकबन्दी की रफ्तार अब तेज होने वाली है। जिलाधिकारी पवन कुमार गंगवार ने साफ निर्देश दिया है कि चकबन्दी अधिकारी गांव-गांव जाकर स्वयं पड़ताल करें और हर हाल में पारदर्शिता सुनिश्चित करें। किसी भी किसान या ग्रामीण के साथ अन्याय न हो।
लंबे समय से अटकी कई फाइलों के बीच अब प्रशासन ने सख्ती दिखाई है। हलिया और कुशियरा गांव में चकबन्दी प्रक्रिया 2013 से लंबित है। जबकि सेमरा गांव 2018 से इंतजार में है। अब यह पुराने मामले भी तेजी से निपटाए जाएंगे। चकबन्दी प्रक्रिया के दौरान सार्वजनिक तालाब, पोखरे, नाले और नालियां अपने मूल स्वरूप में सुरक्षित रखी जाएंगी और उन तक पहुंचने के लिए चकमार्ग (रास्ता) छोड़ा जाएगा। अधिकारियों को यह भी आदेश दिया गया है कि मुकदमों का निस्तारण गांव में ही अदालत लगाकर किया जाए ताकि किसानों को न्याय के लिए बार-बार भटकना न पड़े।
गांव के किसानों में इस पहल को लेकर उम्मीदें जगी हैं। हलिया गांव के किसान रामदुलारे का कहना है कि सालों से चकबन्दी अधर में लटकी थी। अब अगर अधिकारी गांव में ही सुनवाई करेंगे तो झूठे दावे वहीं खत्म हो जाएंगे। वहीं कुशियरा के राजेन्द्र यादव कहते हैं कि सही चकबन्दी से खेत-खलिहान का बंटवारा साफ हो जाएगा, झगड़े भी कम होंगे और खेती आसान होगी। ग्राम सेमरा की महिला किसान सरोज देवी ने भावुक स्वर में कहा कि जमीन के झगड़े से परिवार टूट रहे हैं। अगर पारदर्शिता से चकबन्दी होगी तो यह हम गरीब किसानों के लिए बड़ी राहत होगी। किसानों का मानना है कि यदि प्रशासन का यह सख्त रुख जमीन पर उतरा तो गांवों में लंबे समय से चल रहे विवादों का हमेशा के लिए अंत हो सकता है।
चकबन्दी से किसानों को ये होंगे फायदे
- खेत की जमीन एक जगह पर मिलेगी, खेती करना आसान होगा।
- सिंचाई, खाद और मशीनरी का खर्च कम होगा।
- रास्ते, तालाब और नाले सुरक्षित रहेंगे।
- परिवारों और गांवों में झगड़े-फसाद कम होंगे।
- विवादों के निस्तारण से समय और पैसा दोनों की बचत होगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा