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हरियाणा का पहला मदर मिल्क बैंक ट्रायल के तौर पर हुआ शुरू
एक बार डोनेट हुआ मिल्क 20 डिग्री तापमान पर रखा
रोहतक, 18 अगस्त (हि.स.)। यदि आपका बच्चा प्री-मैच्योर है, आपके बच्चे का वजन कम है और आप अपने बच्चे को किसी कारणवश अपना दूध नहीं पिला पा रही हैं तो यह खबर आपके लिए बहुत ही राहत भरी हो सकती है। कुलपति डॉ. एचके अग्रवाल ने प्रदेश भर के नवजात शिशुओं और माताओं को बहुत बड़ी राहत देते हुए पीजीआईएमएस रोहतक में मदर मिल्क बैंक की ट्रायल के तौर पर शुरुआत करवाई है।
सोमवार को कुलपति डॉ.एचके अग्रवाल ने मदर मिल्क बैंक का निरीक्षण किया और वहां की कार्य प्रणाली के बारे में विस्तार से जाना और माताओं से वार्ता की। कुलपति डॉ. अग्रवाल ने मदर मिल्क बैंक के निरीक्षण के दौरान डॉ. जगजीत और उनकी टीम के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि मिल्क बैंक नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और पीजीआईएमएस रोहतक की स्वास्थ्य सेवाओं को और भी मजबूत बनाएगा। डॉ.एचके अग्रवाल ने कहा कि वें हरियाणा सरकार व एनएचएम का धन्यवाद व्यक्त करते हैं जिन्होंने संस्थान में यह मिल्क बैंक शुरू करने में योगदान दिया।
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि मदर मिल्क बैंक नवजात शिशुओं के लिए मां के दूध की कमी को पूरा करने में मदद करेगा। यह विशेष रूप से प्रीमैच्योर शिशुओं और कम वजन वाले नवजात शिशुओं के लिए महत्वपूर्ण है, जिन्हें मां के दूध की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। डॉ. एच.के. अग्रवाल ने बताया कि मदर मिल्क बैंक में दूध को सुरक्षित और स्वच्छ तरीके से संग्रहीत किया जाता है, जिससे शिशुओं को उच्च गुणवत्ता वाला दूध मिल सके।
निदेशक डॉ.एसके सिंघल ने बताया कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि इस मदर मिल्क बैंक के शुरू होने से शिशु मृत्यु दर में भी कमी आएगी और बच्चा जल्दी स्वस्थ होकर घर जाएगा जिससे अस्पताल खर्च में भी कमी आएगी। नियोनेटोलोजी विभागाध्यक्ष डॉ. जगजीत दलाल ने बताया कि यह एक कंप्रिहेंसिव लैक्टेशन मैनेजमेंट सेंटर है जिसमें माता की कांउसलिंग की जाती है, माताओं को अपना दूध पिलाने के लिए प्रेरित किया जाता है और इसके अलावा मिल्क स्टोरेज व अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं,इसलिए इसे रिसेंटली कंप्रिहेंसिव लैक्टेशन मैनेजमेंट सेंटर व सीएलएमसी के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कहा कि इस मदर मिल्क बैंक की नियोनेटोलॉजी विभाग में शुरुआत करने के लिए एनएचएम के निदेशक डॉ. वीरेंद्र यादव का काफी सहयोग रहा उन्होंने करीब 40 लाख रुपए के उपकरण खरीद कर दिए।
उन्होंने बताया कि कोई भी माता जिनको ज्यादा दूध आता है, जिनके बच्चे को पेट में दिक्कत के कारण दूध पिलाना बंद हो, जिनके बच्चे का दूध बंद हो तो वह किसी भी समय आकर लेबर रूम के ऊपर प्रथम तल पर मदर मिल्क बैंक में आकर मिल्क डोनेट कर सकती है। एक बार डोनेट हुआ मिल्क -20डिग्री तापमान पर रखा जाता है जिसे तीन माह तक स्टोर करके रखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि अभी प्रतिदिन काउंसलर वार्डों में जाती है और माताओं की पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित करती है जिसके चलते प्रतिदिन करीब 10-12 माताएं किसी नवजात की जान बचाने के लिए अपने दूध का दान करने मिल्क बैंक में आती हैं। डॉ. जगजीत ने बताया कि नियोनैटेल आईसीयू में भर्ती करीब 20-25 बच्चों मां का दूध आने की वजह से मिल्क बैंक से दूध की जरूरत पड़ रही है, ऐसे में और अधिक माताओं को प्रेरित करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि फार्मूला मिल्क बच्चों को नहीं पिलाना चाहिए मां का दूध बच्चे के लिए सर्वाेत्तम है क्योंकि फार्मूला मिल्क से उन्हें इंफैक्शन का भय बना रहता है। इस अवसर पर डॉ. दीपक जैन, डॉ. शिखा भी उपस्थित रहीं।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल