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नई दिल्ली, 18 अगस्त (हि.स.)। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। वर्तमान में यह क्षेत्र भारत के कुल निर्यात में लगभग 45 फीसद योगदान देता है। यदि उपयुक्त नीतियां, वैश्विक साझेदारियां और नवाचार को बढ़ावा मिले, तो यह योगदान 60–70 फीसद तक पहुंच सकता है। यह बातें विजेंद्र गुप्ता ने सोमवार को एमएसएमई ग्लोबल समिट 2025 में अपने संबोधन के दौरान कही।
यह सम्मेलन स्टार इंटरनेशनल एमएसएमई फोरम के जरिए फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एफटडीआईआई) तथा सर्विस एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (एसईपीसी) के सहयोग से आयोजित किया गया। सम्मेलन का मुख्य विषय— ‘एमएसएमई को सशक्त करना, वैश्विक स्तर पर जोड़ना’— कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं डिजिटल तकनीक के उपयोग, निर्यात रणनीतियों, महिला एवं युवा उद्यमिता तथा अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए मंच प्रदान करता है। सम्मेलन में अनेक देशों के राजनयिकों, उद्योग जगत के अग्रणी नेताओं, विद्वानों और उत्साही उद्यमियों की उल्लेखनीय भागीदारी रही।
विजेंद्र गुप्ता ने प्रधानमंत्री के “लोकल टू ग्लोबल” के आह्वान का उल्लेख कर कहा कि यह सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक क्रांति का घोषणापत्र है। 20 से अधिक देशों के व्यापार प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ यह सम्मेलन भारतीय उद्यमियों को नए बाजारों तक पहुंचने, उन्नत तकनीकों को अपनाने और वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति बढ़ाने का अवसर उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि भारत की ताकत केवल बड़े उद्योगों में नहीं, बल्कि उन असंख्य छोटे सपनों में है, जिन्हें लाखों एमएसएमई उद्यमी प्रतिदिन साकार कर रहे हैं। यही छोटे सपने मिलकर भारत को विकसित राष्ट्र बनने का मार्ग दिखा रहे हैं।
गुप्ता ने उद्यमियों से ‘मेक इन इंडिया’ से आगे बढ़कर ‘मेड फॉर द वर्ल्ड’ की ओर बढ़ने का आह्वान किया, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा बताया। उन्होंने कहा कि नवाचार, गुणवत्ता संवर्द्धन और वैश्विक सप्लाई चेन से जुड़ाव ही इस लक्ष्य को प्राप्त करने की कुंजी हैं। साथ ही उन्होंने महिलाओं और युवाओं से आग्रह किया कि वे सरकारी नीतियों, अंतरराष्ट्रीय सहयोग तथा इस प्रकार के मंचों से मिल रहे अवसरों का भरपूर लाभ उठाएं।
विधानसभा अध्यक्ष ने सभी से मिलकर आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आइए, हम सब मिलकर भारत के एमएसएमई को मजबूत बनाएं ताकि वे व्यापार और नवाचार में दुनिया के अग्रणी बन सकें। उद्यमशीलता, तकनीकी प्रगति और सांस्कृतिक मूल्यों के बल पर हम अपनी अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर और विकास को आगे बढ़ाने वाली शक्ति बना सकते हैं। यही रास्ता भारत को विश्वगुरु बनाएगा, जहां हम लचीलापन, स्थिरता और साझा समृद्धि के मूल्यों से दुनिया का मार्गदर्शन करेंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव