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- मानसिक दिव्यांगजन के लिए आश्रय गृह संचालन को 20 अगस्त तक मांगे गए प्रस्ताव
मीरजापुर, 18 अगस्त (हि.स.)। मानसिक रूप से दिव्यांग और निराश्रित लोगों के जीवन में अब नई रोशनी की किरण जगने वाली है। यह पहल केवल उन्हें आश्रय देने तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रशिक्षण और मार्गदर्शन देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की ओर भी कदम बढ़ाए जा रहे हैं। इसी उद्देश्य से दिव्यांगजन सशक्तीकरण निदेशालय उत्तर प्रदेश लखनऊ ने प्रदेश भर में मानसिक मंदित एवं मानसिक रूप से रूग्ण निराश्रित दिव्यांगजन आश्रय गृह सह प्रशिक्षण केंद्र (एमआर होम) के संचालन के लिए प्रस्ताव मांगे हैं।
जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी राजेश कुमार सोनकर ने बताया कि इच्छुक और प्रतिष्ठित स्वैच्छिक संस्थाएं 20 अगस्त के भीतर अपना प्रस्ताव कार्यालय में प्रस्तुत करें। प्रस्तावों की जांच के बाद उन्हें निदेशालय लखनऊ भेजा जाएगा, ताकि समय रहते योजना पर काम शुरू हो सके।
उन्होंने बताया कि एमआर होम का मकसद केवल छत और देखभाल मुहैया कराना नहीं है। यहां रहने वाले दिव्यांगजनों को कौशल प्रशिक्षण, स्वरोजगार के अवसर और सामाजिक सहभागिता की दिशा में तैयार किया जाएगा। इससे वे न सिर्फ आत्मनिर्भर बनेंगे बल्कि सम्मानजनक जीवन भी जी सकेंगे। उन्होंने कहा कि मानसिक रूप से दिव्यांग और निराश्रित व्यक्ति भी हमारे समाज का हिस्सा हैं। एमआर होम उन्हें केवल सहारा नहीं देगा, बल्कि उनके जीवन को संवारने की राह भी दिखाएगा।
दिव्यांगजन पा सकेंगे भविष्य की राह
सामाजिक कार्यकर्ता समीर दुबे का मानना है कि इस योजना से उन परिवारों को भी राहत मिलेगी, जो अपने मानसिक रूप से बीमार या विशेष दिव्यांग परिजन की देखभाल करने में असमर्थ हैं। अब उन्हें सुरक्षित और सक्षम माहौल मिलेगा जहां वे देखभाल के साथ-साथ भविष्य की राह भी पा सकेंगे। इस पहल के सफल होने पर मीरजापुर सहित प्रदेश के अन्य जिलों में भी ऐसे केंद्रों के जरिए आस्था, सहारा और आत्मनिर्भरता तीनों को नया आयाम मिल सकेगा।
हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा