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मृदाहरण व अंकुरार्पण के साथ तिरुपति धाम में गोपुरम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव शुरूहिसार, 18 अगस्त (हि.स.)। उत्तर व दक्षिण भारतीय संस्कृति में सामंजस्य स्थापित करने वाले श्री तिरुपति बालाजी धाम में पूरे विधि विधान से गोपुरम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का शुभारंभ हुआ। चार दिन तक चलने वाले इस महोत्सव की शुरूआत दक्षिण भारतीय पूजा पद्धति के अनुसार मृदाहरण, अंकुरार्पण एवं वास्तुहोम के साथ हुई। विभिन्न क्षेत्रों से उमड़े श्रद्धालुओं ने साेमवार काे पूजा व आराधना में पूरी आस्था के साथ हिस्सा लिया। गोपुरम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव परम पद प्राप्त जगद्गुरु त्रिदंडी जीयर स्वामी श्री देवनारायणाचार्य जी महाराज के कृपा पात्र अन्नत श्री विभूषित सर्वश्री नारायणाचार्य जी महाराज के सान्निध्य में शुरू हुआ।यज्ञशाला प्रवेश, मानोन्मान शांति होम व कुंभ कलश आदि की स्थापना एवं यज्ञशाला आराधन का विधान पूरा करके इष्ट की आराधना की गई। 19 अगस्त को प्रात: कलशों से श्रीभगवान का अभिषेक और सायं नयनोन्मिलन, शयनाधिवास व प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। 20 अगस्त को महासंप्रोक्षण व सात्तुमुरै तीर्थ प्रसाद का विधान रहेगा। 20 अगस्त को ही नंदोत्सव भी धूमधाम से मनाया जाएगा और सभी श्रद्धालुओं के लिए भोजन प्रसादी की व्यवस्था रहेगी।अग्रोहा रोड पर लांदड़ी टोल प्लाजा के पास स्थापित श्री तिरुपति धाम में 71 फुट ऊंचा दिव्य व भव्य गोपुरम दक्षिण भारतीय मूर्तिशिल्प और श्रद्धा का जीवंत उदाहरण है। देवी-देवताओं की प्रतिमाओं से सुशोभित और नक्काशीयुक्त गोपुरम देखकर सभी श्रद्धालु अनायास ही नतमस्त हो गए। यह गोपुरम कई किलोमीटर दूर से दिखाई देता है। इससे श्री तिरुपति धाम की शोभा में चार चांद लग गए हैं।दक्षिण भारतीय मंदिरों में गोपुरम का विशेष महत्व है। गोपुरम न केवल मंदिर का प्रवेश द्वार होता है बल्कि वास्तुकला, संस्कृति और धार्मिक महत्व का प्रतीक भी होता है। गोपुरम को इष्टदेव के चरण माना जाता है। भक्त भगवान के चरणों में नतमस्तक होकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। देखा जाए तो गोपुरम आध्यात्मिकता के संगम का प्रतिनिधित्व करते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर