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वाराणसी,18 अगस्त (हि.स.)। बिहार के पटना कॉलेज, पटना के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष आचार्य निशांतकेतु के निधन पर सोमवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ द्विवेदी, प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक रामाशीष के अगुवाई में शोक सभा कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। शोक सभा में भारतीय शिक्षण मंडल, काशी प्रांत के उपाध्यक्ष प्रो. हरेंद्र कुमार सिंह, प्रांत मंत्री डॉ. अशोक कुमार ज्योति, राष्ट्रीय सह-प्रचार प्रमुख डॉ. अनिल कुमार सिंह, प्रो. रचना शर्मा, डॉ. रमेश कुमार सिंह, डॉ. ज्ञान प्रकाश मिश्र, डॉ. बाला लखेंद्र, डॉ. अभय कुमार, डॉ. पंकज कुमार, सचिन कुमार सिंह, डॉ. राज कुमार मीणा आदि ने आचार्य निशांतकेतु के व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा की।
वक्ताओं ने बताया कि साहित्य सेवा में तल्लीन आचार्य निशांतकेतु ने शताधिक पुस्तकों का लेखन एवं संपादन कार्य किया। उनकी 100 कहानियांँ 'दर्द का दायरा', 'आखिरी हँसी', 'तीसरे आदमी की शिनाख्त', 'माटी टीला', 'जख़्म और चीख़', 'अंधघाटी के टीले' आदि उनकी रचना धर्मिता को बताती है। उन्होंने ललित लेख' जैसी 100 से अधिक पुस्तकों की रचना की थी। लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकार, बहुभाषाविद्, उपन्यासकार , कहानीकार, कवि, आलोचक आचार्य निशांतकेतु का निधन 90 वर्ष की आयु में गुरुग्राम के पालम विहार में हो गया। वे विगत दिनों से अस्वस्थ थे। वे अपने पीछे पत्नी प्रो. सुखदा पांडेय, पुत्रियांँ प्रो. रचना सुचिन्मयी, डॉ. शैली भाषांजलि, पुत्र अभिषेक दिनमान और अभिषेक प्रतिमान सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनका निधन साहित्यिक क्षेत्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है। आचार्य के निधन से अध्यापन, लेखन एवं संपादन की दुनिया में एक शून्यता आ गई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी