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शिमला, 18 अगस्त (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश सरकार ने विधानसभा में खुलासा किया है कि प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों से अब तक कुल 943 आउटसोर्स कर्मचारियों को हटाया या बदला गया है। हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया कि आउटसोर्स कर्मचारियों को सीधे सरकार नहीं हटाती, बल्कि यह प्रक्रिया सेवा प्रदाता कंपनियों के स्तर पर होती है। किसी विभाग में सेवाओं की कमी या शिकायत मिलने पर संबंधित सेवा प्रदाता कंपनी ही कर्मचारियों को बदलने या हटाने का निर्णय लेती है। साथ ही यह भी कहा गया कि हटाए गए कर्मचारियों को पुनः रोजगार देने का कोई प्रावधान फिलहाल मौजूद नहीं है।
विधानसभा के मॉनसून सत्र के पहले दिन नाचन के विधायक विनोद कुमार के सवाल के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री ने ये जानकारी सदन के पटल पर रखी।
मुख्यमंत्री ने जवाब में कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया विभागों या बोर्डों द्वारा नहीं बल्कि कंपनियों और ठेकेदारों के माध्यम से टेंडर प्रणाली से होती है। चयनित कंपनियां अपनी आवश्यकता के अनुसार श्रमशक्ति उपलब्ध कराती हैं और कर्मचारियों को संबंधित विभागों में तैनात करती हैं।
मुख्यमंत्री ने विभिन्न विभागों में हटाए गए कर्मचारियों का ब्यौरा भी सदन में रखा गया। कृषि विभाग से 1, वन विभाग से 6, तकनीकी शिक्षा विभाग से 1, कुल्लू जिला परिषद से 1, राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो से 1, श्रम एवं रोजगार विभाग से 18, बहुउद्देश्यीय परियोजनाएं एवं विद्युत विभाग से 5 और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से सबसे अधिक 910 आउटसोर्स कर्मचारियों को हटाया गया है।
इस तरह प्रदेश में कुल 943 आउटसोर्स कर्मचारी अब तक विभिन्न विभागों से हटाए या बदले जा चुके हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा