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-गृह सचिव ने जारी किए सामुदायिक सेवा दिशा-निर्देश-2025
चंडीगढ़, 17 अगस्त (हि.स.)। हरियाणा सरकार ने न्याय प्रणाली में सुधार के लिए ‘सामुदायिक सेवा दिशानिर्देश, 2025’ लागू किए हैं। इसके तहत कुछ मामलों में अपराधियों को जेल भेजने के बजाय समाजोपयोगी कार्य करने का अवसर मिलेगा। इस नीति का मकसद अपराधों की गंभीरता को कम करना नहीं, बल्कि उन्हें परिवर्तन और सुधार के अवसर के रूप में देखना है।
गृह एवं न्याय प्रशासन की अतिरिक्त मुख्य सचिव डाॅ. सुमिता मिश्रा ने रविवार को इन निर्देशों को लागू करने के आदेश जारी किए हैं। डॉ.मिश्रा ने कहा कि हर अपराध समाज पर एक दाग छोड़ता है, लेकिन यह एक अवसर भी है कि गलती को जनहित में बदला जाए। नई नीति के तहत न्यायाधीशों को विवेकाधिकार होगा कि वे पहली बार अपराध करने वाले पात्र अपराधियों को कारावास की बजाय समाज सेवा का आदेश दें।
निर्देशों के तहत मुख्यालय की ओर से समाज सेवाओं को भी चिह्नित किया है। जेलों में बंद कैदी/बंदी नदियों के किनारे पेड़ लगाने, ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में लोगों की मदद करने, विरासत (ऐतिहासिक) स्थलों का संरक्षण, सार्वजनिक पार्कों की सफाई और स्वच्छ भारत अभियान जैसे जनकल्याण कार्यक्रमों में भागीदारी कर सकेंगे। कार्य का चयन अपराधी की उम्र, स्वास्थ्य और कौशल के आधार पर होगा ताकि यह उनके लिए व्यक्तिगत रूप से सार्थक और समाज के लिए लाभकारी बन सके।
डॉ. सुमिता मिश्रा ने बताया कि इस नीति से जेलों में भीड़भाड़ घटेगी और सुधारात्मक सुविधाओं पर दबाव कम होगा। वहीं, समुदायों को प्रत्यक्ष रूप से ठोस सुधार का लाभ मिलेगा। अपराधियों की गतिविधियों की प्रगति रिपोर्ट अदालतों को भेजी जाएगी, जिससे न्यायिक अधिकारी वास्तविक समय में निगरानी कर सकेंगे। सरकार का कहना है कि यह नीति जवाबदेही, सहानुभूति और नागरिकता की स्थायी सीख देने का माध्यम बनेगी। अपराधी सीधे उन्हीं समुदायों के लिए योगदान देंगे, जिन्हें उन्होंने चोट पहुंचाई है। उन्होंने कहा कि यह पहल हरियाणा को उन चुनिंदा राज्यों की कतार में ला खड़ा करती है, जो न्याय को केवल दंड नहीं बल्कि सुधार और पुनर्स्थापना का जरिया मानते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा