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चंडीगढ़, 17 अगस्त (हि.स.)। हरियाणा बिजली सुधारों के मामले में देशभर में मिसाल बनकर उभरा है। 27 साल पहले गठित हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग (एचईआरसी) आज उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में पारदर्शिता सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभा रहा है। राज्य उन चंद प्रदेशों में शामिल रहा है, जिन्होंने सबसे पहले हरियाणा बिजली सुधार अधिनियम, 1997 लागू किया।
एचईआरसी के चेयरमैन नंद लाल शर्मा ने कहा कि 16 अगस्त, 1998 को एचईआरसी का गठन हुआ और 17 अगस्त 1998 से आयोग ने विधिवत कार्य शुरू किया। इसके बाद हरियाणा देश का दूसरा राज्य बना जिसने बिजली बोर्डों का पुनर्गठन कर उत्पादन, प्रसारण और वितरण को अलग-अलग किया। प्रदेश में इस समय 81.92 लाख से अधिक उपभोक्ता हैं। उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (यूएचबीवीएन) और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (डीएचबीवीएन) कार्यरत हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों निगमों के अधीन 21 ऑपरेशन सर्कल, 63 ऑपरेशन डिविजन और 282 ऑपरेशन सब-डिविजन हैं। उपभोक्ता शिकायतों के निवारण के लिए आयोग ने 21 उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच (सीजीआरएफ) सर्कल स्तर पर, 4 जोनल स्तर पर और 2 कॉर्पोरेट स्तर पर स्थापित किए हैं। वहीं, यदि कोई उपभोक्ता इन मंचों के निर्णय से असंतुष्ट होता है तो वह विद्युत लोकपाल के पास अपील कर सकता है।
एचईआरसी के चेयरमैन नंद लाल शर्मा के अनुसार, विद्युत अधिनियम, 2003 ने देशभर में ऊर्जा क्षेत्र को नई दिशा दी। इसके तहत बिजली उत्पादन, वितरण और प्रसारण में प्रतिस्पर्धा बढ़ाना, उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना तथा पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित करना प्रमुख उद्देश्य रहा है। 27वें स्थापना दिवस के मौके पर आयोग ने उपभोक्ताओं, अधिकारियों, कर्मचारियों और हितधारकों को शुभकामनाएं दीं और ऊर्जा क्षेत्र को अधिक सक्षम, पारदर्शी और भविष्य उन्मुख बनाने के संकल्प को दोहराया।
हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा