भोपालः राष्ट्रप्रेम, सांस्कृतिक चेतना और समर्पण की भावना को समर्पित रही “राष्ट्र वंदना गोष्ठी”
भोपाल, 17 अगस्त (हि.स.)। अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, भोपाल इकाई द्वारा रविवार को विश्व संवाद केंद्र, शिवाजीनगर में “राष्ट्र वंदना गोष्ठी” का आयोजन किया गया। यह गोष्ठी देशभक्ति की रचनाओं के प्रस्तुतिकरण के माध्यम से राष्ट्रप्रेम, सांस्कृतिक चेतना और स
“राष्ट्र वंदना गोष्ठी”


भोपाल, 17 अगस्त (हि.स.)। अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, भोपाल इकाई द्वारा रविवार को विश्व संवाद केंद्र, शिवाजीनगर में “राष्ट्र वंदना गोष्ठी” का आयोजन किया गया। यह गोष्ठी देशभक्ति की रचनाओं के प्रस्तुतिकरण के माध्यम से राष्ट्रप्रेम, सांस्कृतिक चेतना और समर्पण की भावना को समर्पित रही।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए परिषद् की अध्यक्ष एवं मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी ने कहा कि “राष्ट्रप्रेम केवल शब्दों में नहीं, बल्कि जीवन और कृतियों में प्रकट होना चाहिए।” उन्होंने साहित्य और कविताओं के माध्यम से युवाओं में देशभक्ति की भावना जागृत करने की आवश्यकता पर बल दिया।

मुख्य अतिथि, वरिष्ठ ओज कवि मदनमोहन समर ने कहा कि “कविता और साहित्य समाज को नैतिक दिशा देने का सर्वोत्तम साधन हैं।” उन्होंने युवा कवियों से आग्रह किया कि वे अपने रचनात्मक प्रयासों में राष्ट्र और संस्कृति की गरिमा बनाए रखें। उन्होंने अपनी ओजस्वी वाणी में वीर रस से ओतप्रोत रचना प्रस्तुत की— “अपनी निष्ठा एक है, अपना एक विधान।”

विशिष्ट अतिथि एवं परिषद् के संरक्षक रमेश व्यास शास्त्री ने कहा कि साहित्य का मूल उद्देश्य केवल सौंदर्यबोध नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के प्रति चेतना और जिम्मेदारी भी है। अपनी रचना में उन्होंने कहा— “जीवन नाम है मृत्यु से उलझ जाने का।”

परिषद् की महामंत्री सुनीता यादव ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए उपस्थित साहित्यकारों का अभिनंदन किया और हिंदी साहित्य के मूर्धन्य कवि श्री गिरिजाकुमार माथुर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन गीतकार ललित व्यास पांडेय ने किया। सरस्वती वंदना श्रद्धा यादव ने प्रस्तुत की तथा परिषद गीत मांडवी सिंह ने गाया।

गोष्ठी में अनेक कवियों ने देशभक्ति से ओतप्रोत रचनाएँ प्रस्तुत कर श्रोताओं को भावविभोर किया। प्रमुख प्रस्तुतियाँ इस प्रकार रहीं—

- डॉ. रामवल्लभ आचार्य– “है स्वर्ग से भी सुंदर भारत वसुंधरा।”

- सुनीता यादव– “हमारी लेखनी विचार नहीं, हथियार बरसाएगी।”

- किशन तिवारी– “धरती, समुंदर, आकाश आज अपने घर आँगन…”

- आशा श्रीवास्तव– “पायी है आज़ादी हमने वीरों के बलिदान से।”

- कमल किशोर दुबे – “देश रहे खुशहाल हमेशा…”

- आदित्य हरि गुप्ता (सीहोर) – “जो देश पर मरेगा, वह देशभक्त होगा…”

- सुरेश सोनपुरे – “लहर-लहर लहराए तिरंगा।”

- होशियार सिंह – “गुरु तेगबहादुर प्रेरित कर गये…”

- बिहारीलाल सोनी – देशभक्ति रचना पाठ।

- धर्मदेव सिंह – “जलाकर दुश्मनों को हम उसी घर राख कर देंगे।”

- नीता सक्सेना – “शहीदों के घर जाना कभी…”

- अशोक व्यग्र – “रोग रण दारुण समय है…”

- चंद्रहास शुक्ल – “हल्दी घाटी से पूछो…”

- प्रेमचंद गुप्ता – “सूरज की नयी किरण से सबको नया विहान मिले।”

- पुरुषोत्तम तिवारी – “करूँगा संघर्ष, चाहे जीत हो या हार हो।”

- सुरेश पबरा ‘आकाश’ – “मेरा देश खड़ा है तन के तूफानों के सामने।”

- चौधरी सत्येंद्र जैन – अटल बिहारी वाजपेयी की रचना “आजादी अभी अधूरी है।”

- गीतकार ललित व्यास पांडेय – “शरीर के अंग-अंग में, संग लहू के बहता है…”

इनके अलावा सत्यदेव सोनी, अंशु वर्मा और मांडवी सिंह ने गिरिजा कुमार माथुर सहित अन्य कवियों के गीतों को लयबद्ध प्रस्तुत कर गोष्ठी को विशेष ऊँचाई दी। गोष्ठी में भोपाल और आसपास के अनेक साहित्यकार, कवि एवं रचनाकार सक्रिय रूप से उपस्थित रहे। अंत में परिषद् की अध्यक्ष डॉ. नुसरत मेहदी ने सभी साहित्यप्रेमियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर