मकरमपुर में दो सौ वर्षों से चली आ रही ध्वजा रोहण की परंपरा, हर साल फहराए जाते हैं हजारों ध्वज
Darbhanga Bihar, 17 अगस्त (हि.स.)। दरभंगा (बेनीपुर)। बेनीपुर प्रखंड के मकरमपुर गांव में करीब दो शताब्दी पुरानी ध्वजा रोहण की परंपरा आज भी पूरे श्रद्धा और आस्था के साथ निभाई जा रही है। हर वर्ष यहां हजारों की संख्या में ध्वज फहराए जाते हैं। इस अवसर पर
मकरमपुर में दो सौ वर्षों से चली आ रही ध्वजा रोहण की परंपरा, हर साल फहराए जाते हैं हजारों ध्वज


Darbhanga Bihar, 17 अगस्त (हि.स.)।

दरभंगा (बेनीपुर)। बेनीपुर प्रखंड के मकरमपुर गांव में करीब दो शताब्दी पुरानी ध्वजा रोहण की परंपरा आज भी पूरे श्रद्धा और आस्था के साथ निभाई जा रही है। हर वर्ष यहां हजारों की संख्या में ध्वज फहराए जाते हैं। इस अवसर पर दूर-दराज़ से श्रद्धालु पहुंचते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए ध्वजा अर्पित करते हैं।

ग्रामीण निभा देवी के अनुसार, लगभग 200 वर्ष पूर्व इस क्षेत्र में हैजा जैसी भयंकर बीमारी फैल गई थी। तभी गांव के एक बाबा को स्वप्न में हनुमानजी के दर्शन हुए और उन्होंने ध्वजा अर्पित करने का संकेत दिया,जब उनकी मनोकामना पूरी हुई, तो उसी समय से इस परंपरा की शुरुआत हुई।

धीरे-धीरे यह आस्था पूरे गांव और आसपास के इलाकों में फैल गई। जब भी किसी को किसी कठिनाई का सामना करना पड़ता, वह ध्वजा रोहण का संकल्प लेता। समय के साथ यह परंपरा इतनी व्यापक हो गई कि आज हर साल करीब दस हजार से अधिक ध्वज अर्पित किए जाते हैं।

ग्रामीण निभा देवी और रोहित मिश्रा का कहना है कि यह आयोजन न केवल धार्मिक विश्वास का प्रतीक है, बल्कि मकरमपुर गांव की सांस्कृतिक पहचान भी बन चुका है।

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हिन्दुस्थान समाचार / Krishna Mohan Mishra