अगस्त में भी रही बिकवाल की भूमिका, अभी तक 21 हजार करोड़ की निकासी
नई दिल्ली, 17 अगस्त (हि.स.)। अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव, रुपये की कीमत में आई कमजोरी और कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों की वजह से अगस्त के महीने में भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) बिकवाल की भूमिका में बने हुए हैं। इस महीने के कुल 10 क
अगस्त में अभी तक बिकवाल की भूमिका  में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक


नई दिल्ली, 17 अगस्त (हि.स.)। अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव, रुपये की कीमत में आई कमजोरी और कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों की वजह से अगस्त के महीने में भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) बिकवाल की भूमिका में बने हुए हैं। इस महीने के कुल 10 कारोबारी दिनों के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक बिकवाली करके घरेलू शेयर बाजार से करीब 21 हजार करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार 1 अगस्त से लेकर 15 अगस्त के बीच के 10 कारोबारी दिनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने बिकवाली करके घरेलू शेयर बाजार से शुद्ध रूप से 30,924 करोड़ रुपये निकाल लिए‌। इस तरह जनवरी 2025 से लेकर अभी तक की अवधि में घरेलू शेयर बाजार से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक कुल 1.1 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं। अगस्त के पहले जुलाई के महीने में भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने स्टॉक्स की बिक्री करके घरेलू शेयर बाजार से 17,741 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी। हालांकि, इस साल मार्च से लेकर जून तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने सकारात्मक रवैया दिखाते हुए घरेलू शेयर बाजार में 38,673 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश भी किया था।

धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी के अनुसार कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे और रुपये में आई कमजोरी के साथ ही अमेरिकी टैरिफ को लेकर बने तनाव की स्थिति की वजह से घरेलू शेयर बाजार में लगातार नकारात्मक माहौल बना रहा। धामी को अनुसार ग्लोबल इकोनॉमी की अनिश्चितता और अमेरिकी टैरिफ को लेकर बने भ्रम के माहौल ने बाजार के माहौल को सबसे ज्यादा खराब किया। इसके साथ ही जियो-पॉलिटिकल टेंशन बढ़ने और अमेरिका तथा अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं मे ब्याज दर को लेकर लगातार बढ़ रहे असमंजस ने विदेशी निवेशकों के बीच जोखिम प्रबंधन की भावना को भी कमजोर किया है।

इसके अलावा जुलाई के अंत में ही अमेरिका ने भारतीय सामान पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी थी। इसके बाद अमेरिका ने रूस से तेल का आयात करने की वजह से भारत पर जुर्माना लगाने और अतिरिक्त 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया, जिससे बाजारों में घबराहट और बिकवाली का माहौल बन गया। इसकी वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने जोखिम से दूर रहने की नीति अपनाते हुए घरेलू शेयर बाजार से अपने निवेश को निकालने पर अधिक ध्यान दिया।

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हिन्दुस्थान समाचार / योगिता पाठक