हिमाचल में 77 ईको-टूरिज्म साइट्स का विकास, 200 करोड़ रुपये राजस्व की उम्मीद
शिमला, 17 अगस्त (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए एक नई नीति लागू की है। इस नीति के तहत प्रदेश के अलग-अलग वन वृत्तों में 77 ईको-टूरिज्म स्थलों का विकास किया जा रहा है। सरकार की इस योजना से आने वाले पांच वर्षों
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शिमला, 17 अगस्त (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए एक नई नीति लागू की है। इस नीति के तहत प्रदेश के अलग-अलग वन वृत्तों में 77 ईको-टूरिज्म स्थलों का विकास किया जा रहा है। सरकार की इस योजना से आने वाले पांच वर्षों में लगभग 200 करोड़ रुपये के राजस्व की संभावना जताई गई है। एक सरकारी प्रवक्ता ने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में सरकार हिमाचल को विश्व स्तर पर एक प्रमुख ईको-टूरिज्म गंतव्य के रूप में विकसित करने की दिशा में काम कर रही है।

प्रवक्ता ने कहा कि हिमाचल की प्राकृतिक सुंदरता हमेशा से पर्यटकों को आकर्षित करती रही है। बर्फ से ढकी पहाड़ियां, घने जंगल, साफ नदियां और जैव विविधता इसे एक खास पहचान देते हैं। सरकार अब इन प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए उनका सतत उपयोग करना चाहती है। इसी उद्देश्य से ईको-टूरिज्म नीति-2024 बनाई गई है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना पर्यटन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

उन्होंने कहा कि शिमला, कुल्लू, मंडी, बिलासपुर, रामपुर, सोलन, नाहन, हमीरपुर, नालागढ़, धर्मशाला, पालमपुर, चंबा, डलहौजी, नूरपुर और रिकांगपिओ जैसे क्षेत्रों में इन स्थलों का विकास किया जा रहा है। शिमला के पॉटर हिल और शोघी, कुल्लू के सोलंग नाला और कसोल जैसे सात प्रमुख स्थलों के लिए पहले ही ऑपरेटरों का चयन हो चुका है। बाकी स्थानों पर काम चरणबद्ध तरीके से चल रहा है।

पर्यटक इन स्थलों पर ट्रैकिंग, बर्ड वॉचिंग, जंगल कैंपिंग, नेचर वॉक, होमस्टे और प्रकृति ट्रेल जैसी गतिविधियों का आनंद ले सकेंगे। इससे जहां पर्यावरण का संरक्षण होगा, वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि इस योजना में स्थानीय लोगों की भागीदारी हो। हर वन वृत्त में ईको-टूरिज्म समितियां बनाई गई हैं। अब तक 70 से अधिक नेचर गाइड और 135 मल्टी-पर्पज वर्कर को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

प्रवक्ता के अनुसार राज्य सरकार वन संरक्षण पर भी जोर दे रही है। वर्ष 2030 तक वनों के क्षेत्र को 30 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया है। राजीव गांधी वन संवर्धन योजना के तहत महिला मंडलों, युवा मंडलों और स्वयं सहायता समूहों की मदद से पौधारोपण का कार्य किया जा रहा है। इसके लिए 100 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। इस साल 1,000 से 1,500 हेक्टेयर जंगल भूमि में पौधारोपण हो रहा है।

उन्होंने कहा कि पर्यटकों की सुविधा के लिए सरकार ने ईको-टूरिज्म सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध करवाया है। अब 100 से ज्यादा फॉरेस्ट रेस्ट हाउस और कैंपिंग साइट्स की बुकिंग वेबसाइट के जरिए की जा सकती है। 245 से ज्यादा ट्रैकिंग रूट्स को भी चिन्हित किया गया है और एक मोबाइल ऐप भी तैयार किया जा रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा