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जौनपुर,13 अगस्त (हि.स.)। जफराबाद थाना क्षेत्र के राजेपुर कचगांव का ऐतिहासिक (कजरहवा) कजली मेला 172 वें साल भी बुधवार को संपन्न हुआ। इस मेले में आई बरात बिन दुल्हन के एक बार फिर वापस हो गई। दोनों गांवों के बीच दुल्हन के लिए खूब जुबानी जंग हुई। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते दो साल तक आयोजन नहीं हो पाया था।
बुजुर्गों के मुताबिक यह परंपरा लगभग 172 साल पुरानी है। राजेपुर व कजगांव से लड़कियां जरई बहाने राजेपुर के कजरहवा पोखरा पर आती हैं। इनके बीच कजली का मुकाबला होता है वे एक-दूसरे से जीतना चाहती हैं, लेकिन शाम होते-होते कोई परिणाम सामने नहीं आता। राजेपुर की तरफ से दद्दू साव तथा कजगांव की लड़कियों की ओर से कालिका साव लड़कियों को घर ले जाने को आए। लड़कियों ने कहा कि जब तक कजरी का फैसला नहीं हो जाता तब तक हम सभी यहां से नहीं जाएंगे। इस पर राजेपुर की लड़कियों के सदस्य दद्दू साव ने कहा कि अब शाम हो गई है। पोखरे पर रहकर कजरी करना ठीक नहीं है। सभी लोग मेरे घर चलें वहीं पर कजरी मुकाबला होगा। वहां भी पूरी रात कजली चली, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकल सका। जब कजगांव की लड़कियां जाने लगी तो दद्दू साव ने परंपरा के अनुसार उनकी विदाई की। यही परंपरा इन दोनों गावों के लोग प्रतिवर्ष मनाते चले आ रहे हैं। दोनों गांवों की तरफ से दूल्हा आते हैं, लेकिन दुल्हन नहीं ले जा पाते। इस बार राजेपुर से बारात में दूल्हा नाटे सज धज कर डीजे,घोड़ा,के साथ पोखरा पर पहुंच कर नाई जलील अहमद, पंडित झंझट कचगांव के लोगों से दुल्हन देने के लिए गाली के साथ मांग रहे थे।वहीं दूसरे पोखरे के किनारे कचगांव के दूल्हा रहीस,करिया,गोलू,सब्बीर, नाई राजेश शर्मा पंडित रितेश कुमार पांडे ने भी गाली के साथ दुल्हन देने के लिए राजेपुर से मांग करते रहे। लेकिन बिन दुल्हन दोनों तरफ के दूल्हा मायूस होकर चले गए।
हिन्दुस्थान समाचार / विश्व प्रकाश श्रीवास्तव