भारतीय ज्ञान परम्परा में तर्कशास्त्र का महत्वपूर्ण स्थान : डॉ. प्रांगेश
--आयुर्वेद कॉलेज में संस्कृत सप्ताह समारोह के अंतर्गत व्याख्यान का आयोजन
आयुर्वेद कॉलेज में संस्कृत सप्ताह समारोह के अंतर्गत व्याख्यान का आयोजन*


आयुर्वेद कॉलेज में संस्कृत सप्ताह समारोह के अंतर्गत व्याख्यान का आयोजन*


गोरखपुर, 13 अगस्त (हि.स.)। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर (एमजीयूजी) के गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में बुधवार को संस्कृत क्लब व संहिता सिद्धांत विभाग द्वारा संस्कृत सप्ताह समारोह के अंतर्गत विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण के रूप में भारतीय ज्ञान परम्परा में तर्कशास्त्र विषय पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन हुआ।

अतिथि वक्ता गोरक्षनाथ संस्कृत विद्यापीठ स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गोरखनाथ मंदिर के दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. प्रांगेश मिश्र ने कहा कि विश्वविद्यालय में संस्कृतमय वातावरण सुखद और प्रशंसनीय है। उन्होंने तर्कशास्त्र की परम्परा, इसके दार्शनिक आधार तथा चिकित्सा एवं आयुर्वेद में इसके व्यावहारिक महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. मिश्र ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा में तर्कशास्त्र का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह केवल विचार की शुद्धता और युक्ति का अभ्यास ही नहीं कराता, बल्कि सत्य और असत्य में भेद करने की क्षमता भी प्रदान करता है। महर्षि गौतम द्वारा रचित न्यायसूत्र तर्कशास्त्र का मूल आधार माना जाता है। जिसमें प्रमाण, प्रतिज्ञा, हेतु, दृष्टांत, उपनय और निगमन जैसे तर्क के अंग स्पष्ट रूप से वर्णित हैं। आज के युग में भी तर्कशास्त्र का महत्व उतना ही है जितना प्राचीन समय में था चाहे वह वैज्ञानिक शोध हो, न्यायिक निर्णय हो या हमारे दैनिक जीवन में विवेकपूर्ण निर्णय लेना हो। उन्होंने कहा कि तर्कशास्त्र का अध्ययन केवल पांडित्य के लिए नहीं, बल्कि सही और सार्थक जीवन दृष्टि के लिए भी आवश्यक है।

हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय