शहीदों के बलिदान समझने से आजादी की कीमत समझ आयेगी : न्यायमूर्ति सुधीर नारायण
शहीदों की जीवनी से युवा प्रेरणा लें :संजय गुप्त प्रयागराज, 12 अगस्त (हि.स.)। गुलाम भारत में आजादी चाहने वाले जिन लोगों ने अपनी शहादत दी, उन्ही की वजह से आज हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं । आज चार शहीदों की शहादत है। उनकी कहानी आपको जानना चाहिए जिसस
प्रयागराज में शहीद वाल स्थल आयोजित कार्यक्रम का छाया चित्र


प्रयागराज में शहीद वाल स्थल आयोजित कार्यक्रम का छाया चित्र


प्रयागराज में शहीद वाल स्थल आयोजित कार्यक्रम का छाया चित्र


शहीदों की जीवनी से युवा प्रेरणा लें :संजय गुप्त

प्रयागराज, 12 अगस्त (हि.स.)। गुलाम भारत में आजादी चाहने वाले जिन लोगों ने अपनी शहादत दी, उन्ही की वजह से आज हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं । आज चार शहीदों की शहादत है। उनकी कहानी आपको जानना चाहिए जिससे हमें पता लग सके कि कितनी दिक्कत और परेशानी के बाद हमको आजादी मिली है। उक्त बातें मंगलवार को न्यायमूर्ति सुधीर नारायण ने आज एक रोशनी शहीदों के नाम कार्यक्रम में कही।

उन्होंने कहा कि शहीदवॉल आकर लोगों को देखना चाहिए कि आम लोगों में क्या शौर्य प्रदर्शन किया है। जिसका उल्लेख यहां किया गया है।

भाजपा के शहर अध्यक्ष संजय गुप्ता ने कहा कि आज तिरंगा यात्रा भी निकल गई है और हम सब की इच्छा थी कि इसका समापन शहीदवॉल पर ही किया जाए। शहीदों को नमन करते हुए हम आज अपने को गौरवान्वित महसूस करते है।

उन्होंने सभी शहीदों को नमन करते हुए युवाओं को इनसे प्रेरणा लेने की अपील की।

विषय प्रवर्तन करते हुए शहीदवॉल के संस्थापक वीरेंद्र पाठक ने बताया कि आजादी के आंदोलन में 12 अगस्त का दिन प्रयागराज के इतिहास में अमर है। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इस दिन पूरा शहर विद्रोह की लपटों में घिरा था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कचहरी की ओर निकल रहे छात्रों के जुलूस में सबसे आगे एक युवती तिरंगा लेकर चल रही थी। अंग्रेजी अफसरों ने सबको लौटने का आदेश दिया। जब युवती तिरंगा लेकर झुकने लगी तो लाल पद्मधर ने दौड़कर झंडा थाम लिया और सीना तानकर खड़े हो गए। गोली चलने की आवाज आई और 21 वर्षीय लाल पद्मधर का सीना गोलियों से छलनी हो गया। तिरंगा उनके हाथ से तब ही छूटा जब उनकी जीवन यात्रा समाप्त हो गई।

इसी दिन लोकनाथ चौक में 12 वर्षीय रमेश मालवीय को भी बलूच रेजीमेंट के कप्तान की आंख में ईंट मारने के बाद गोली मार दी गई। बैजनाथ प्रसाद गुप्त, जो अहियापुर के रहने वाले थे, विरोध प्रदर्शन के दौरान मशीनगन से चली गोली का शिकार हुए। वहीं, 30 वर्षीय ननका हेला जमादार, जो बख्शी बाजार में रहते थे, सत्याग्रह आंदोलन के दौरान बलूच सैनिकों की गोली से शहीद हो गए।

इन वीरों की स्मृति में मंगलवार को प्रयागराज स्थित शहीद वॉल पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कार्यक्रम में सभी अतिथियों ने शहीदों को नमन करते हुए दीप प्रज्ज्वलन किया। संचालन डॉ. प्रमोद शुक्ला ने किया। अंत में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

सभी शहीदों के सम्मान में पुलिस बैंड वादन भी हुआ

कार्यक्रम में कैप्टन पी. के. मिश्रा, सूबेदार लल्लन मिश्रा, नायब सूबेदार सी. एल. सिंह, नायब सूबेदार नारायण यादव, नायब सूबेदार सत्यपाल श्रीवास्तव, नायब सूबेदार प्रमोद सिंह, सूबेदार ओ. पी. पाण्डेय, रमेश चन्द्र हेला, रघुनाथ द्विवेदी, जगतनारायण तिवारी, शशिकांत मिश्र, विक्रम मालवीय, डॉ. श्रवण मिश्र, सनी शर्मा, ऋषभ तिवारी, आनंद प्रकाश दीक्षित, विकास मिश्र, मनोज श्रीवास्तव, अजय श्रीवास्तव, हेमंत बनर्जी, विजय श्रीवास्तव, विवेक मिश्रा, अर्चना शुक्ला, सुनील पांडे समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / रामबहादुर पाल