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जबलपुर, 12 अगस्त (हि.स.)। कांग्रेस अध्यक्ष जबलपुर द्वारा दायर याचिका को हाईकोर्ट ने निराधार मानते हुए खारिज कर दिया। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा विभाजन विभीषिका दिवस कोई उत्सव नहीं है, बल्कि बलिदानियों की याद का दिन है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस दिन के लिए जिला स्तरीय समिति का गठन करना बिल्कुल भी गलत नहीं है। याचिकाकर्ता ने इस संबंध में पहले कलेक्टर जबलपुर के माध्यम से राज्यपाल को अभ्यावेदन भेजा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा।
जबलपुर जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष सौरभ नाटी शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया था कि जिला भाजपा अध्यक्ष शहडोल अमिता चपरा ने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक पोस्ट डाली थी, जिसमें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के निर्देश पर हर घर तिरंगा, तिरंगा यात्रा और विभाजन विभीषिका दिवस के आयोजन के लिए जिला स्तरीय समिति गठन की जानकारी दी गई थी। याचिकाकर्ता का तर्क था कि यह पोस्ट संविधान और भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 196 के विपरीत है।
डिविजनल बेंच में जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ ने सुनवाई करते हुए कहा कि विभाजन विभीषिका दिवस को 'उत्सव' मानना गलत है। यह दिन देश के इतिहास की त्रासदी और शहीदों की याद में मनाया जाता है। अदालत ने याचिका को पूर्णतः निराधार बताते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता को समझाया कि इसे किसी उत्सव के तौर पर न देखा जाए। सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता हरप्रीत सिंह रुपराह और पैनल अधिवक्ता आकाश मालपानी ने पक्ष रखा।
हाईकोर्ट टिप्पणी के बाद याचिकाकर्ता सौरभ नाट्ज शर्मा ने खुद ही याचिका वापस लेने का अनुरोध किया, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने उसे निरस्त कर दिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / विलोक पाठक