कोकराझार में 92 किसानों को दी गई वैज्ञानिक तकनीक से रेशम पालन का प्रशिक्षण
कोकराझार (असम), 12 अगस्त (हि.स.)। मुगा एवं एरी रेशम क्षेत्र को सशक्त बनाने हेतु तकनीकी हस्तक्षेप पर एक जागरूकता कार्यक्रम आज मेरा रेशम मेरा अभिमान (एमआरएमए) अभियान के अंतर्गत गोसाईगांव के बल्लमगुड़ी गांव में आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम केंद्रीय रेश
एमआरएमए अभियान के तहत मुगा एवं एरी रेशम क्षेत्र को तकनीकी बढ़ावा।


कोकराझार (असम), 12 अगस्त (हि.स.)। मुगा एवं एरी रेशम क्षेत्र को सशक्त बनाने हेतु तकनीकी हस्तक्षेप पर एक जागरूकता कार्यक्रम आज मेरा रेशम मेरा अभिमान (एमआरएमए) अभियान के अंतर्गत गोसाईगांव के बल्लमगुड़ी गांव में आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम केंद्रीय रेशम बोर्ड (एमईएसएसओ, पी-3 यूनिट, कोवाबिल, कोकराझार) एवं रेशम निदेशालय, आदाबारी, बीटीसी असम के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ। कार्यक्रम वैज्ञानिक-बी, केंद्रीय रेशम बोर्ड, एमईएसएसओ, पी-3 कोवाबिल एवं एमआरएमए नोडल अधिकारी, कोकराझार, डॉ. सुरक्षा चनोत्रा तथा रंजीत गोगोई, अधीक्षक रेशम, गोसाईगांव की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।

कार्यक्रम में कुल 92 किसान, जिनमें मुगा एवं एरी रेशम पालक शामिल थे, ने सक्रिय रूप से भाग लिया। तकनीकी सत्रों में आधुनिक एवं सतत रेशम पालन पद्धतियों पर चर्चा की गई, जिसमें मुगा एवं एरी रेशम की वैज्ञानिक पालन तकनीक तथा उन्नत मेजबान पौधों की खेती के तरीकों को विस्तार से बताया गया।

किसानों की बेहतर समझ के लिए ऑडियो-विज़ुअल प्रस्तुतियों का उपयोग किया गया तथा सूचनाप्रद पुस्तिकाएं वितरित की गईं। इस पहल का उद्देश्य किसानों को नवीनतम तकनीकी ज्ञान से सशक्त बनाना था, जिससे उत्पादन, गुणवत्ता एवं आर्थिक लाभ में वृद्धि हो सके।

इस अवसर पर केंद्रीय रेशम बोर्ड के विशेषज्ञों ने मुगा एवं एरी रेशम उद्योग को सशक्त बनाने में तकनीक अपनाने की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया, जो असम की सांस्कृतिक एवं आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कार्यक्रम का समापन आशावादी माहौल में हुआ, जिसमें किसानों ने प्रदान किए गए व्यावहारिक ज्ञान की सराहना की और इन तकनीकी हस्तक्षेपों को अपने खेती में अपनाने का संकल्प लिया।

हिन्दुस्थान समाचार / किशोर मिश्रा