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पटना, 12 अगस्त (हि.स.)। बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने ग्रामीण इलाकों में भूमि संबंधी मामलों को सरल और तेज बनाने के लिए मुखिया और सरपंचों को भी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार दिया है। यह बदलाव विशेष तौर पर राजस्व महाअभियान को देखते हुए किया गया है, ताकि पुराने मामलों में नामांतरण और उत्तराधिकार की प्रक्रिया में तेजी आ सके।
बिहार में भूमि राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी जिला समाहर्ताओं को पत्र भेजकर इस नई व्यवस्था की जानकारी दी है। 10 अगस्त को पटना स्थित राजस्व सर्वे प्रशिक्षण संस्थान में पंचायत प्रतिनिधियों के संघों के साथ हुई बैठक में यह सुझाव आया था कि जिन मामलों में रैयत या जमाबंदीदार की मृत्यु वर्षों पहले हो चुकी है और प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं है, वहां प्रक्रिया को आसान बनाया जाए।
राज्य सरकार के इस निर्णय के बाद अब ऐसे मामलों में उत्तराधिकारी द्वारा सफेद कागज पर स्व-घोषणा पत्र देकर पंचायत के मुखिया या सरपंच से हस्ताक्षर कराकर अभिप्रमाणित कराना पर्याप्त होगा। इसके अलावा, अगर वंशावली में किसी सदस्य के नाम के साथ ‘मृत’ दर्ज है, तो उसे भी मान्य प्रमाण माना जाएगा। सरकार का मानना है कि इस फैसले से पुराने लंबित भूमि विवाद और नामांतरण के मामलों का निपटारा तेजी से हो सकेगा।
राज्य सरकार ने इससे पहले भी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रक्रिया में बदलाव करते हुए एक साल से अधिक पुराने मामलों के लिए प्रखण्ड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) और नगर निकायों के कार्यपालक पदाधिकारियों को अधिकार दिया था, ताकि आवेदन लंबित न रहें।
यह कदम गांव से लेकर शहर तक प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल और सुलभ बनाने की दिशा में नीतीश सरकार का एक और महत्वपूर्ण फैसला माना जा रहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद चौधरी