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धर्मशाला, 12 अगस्त (हि.स.)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग-154 पर असुरक्षित फोर-लेन सड़क के चौड़ीकरण कार्य को लेकर प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए चार विभागों को नोटिस जारी किए हैं। एनजीटी ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 का उल्लंघन मानते हुए हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग हिमाचल प्रदेश तथा हिमाचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह नोटिस जारी करते हुए आगामी 3 नवंबर 2025 से पहले अपना जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि ढलानों की कटाई बिना सुरक्षा दीवारों वाले घरों के पास खतरनाक तरीके से की गई, जिससे ग्रामीणों को सुरक्षा के लिए तिरपाल का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस परियोजना ने पुराने मार्गों को भी अवरुद्ध कर दिया है। सड़कों को क्षतिग्रस्त कर दिया है और जल निकासी को बाधित कर दिया है, जिससे मानसून के दौरान भूस्खलन और दुर्घटना का खतरा बढ़ गया है।
एनजीटी के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले में पठानकोट–मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग-154 के चार-लेन विस्तार का काम सही योजना और वैज्ञानिक तरीके से नही हो रहा है। थानपुरी से परौर के 18 किमी हिस्से में ढलान काटने का कार्य घरों के बिल्कुल पास किया गया है और सुरक्षात्मक दीवार नहीं बनाई गई। बरसात के बाद ही कंपनी ने कुछ रिटेनिंग वॉल बनाना शुरू किया, लेकिन वह भी पर्याप्त नहीं है। ग्रामीणों को अपने खर्चे पर तिरपाल लगाकर घरों के पास की खड़ी ढलानों को ढकना पड़ा है और वे डर में जी रहे हैं और रात को बाहर निकलना भी खतरनाक है। इस प्रोजेक्ट से गांव के पुराने रास्ते बंद हो गए हैं।
कांगड़ा जिले के कई इलाकों में इसी तरह की खुदाई और अधूरा काम घरों को खतरे में डाल रहा है, सड़कें टूट रही हैं और पानी की प्राकृतिक निकासी बाधित हो रही है। बरसात में भूस्खलन, संपत्ति नुकसान और हादसों का खतरा और बढ़ गया है।
हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया