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खाचरोद, 12 अगस्त (हि.स.)। मध्य प्रदेश के मालवा प्रांत में बारिश नहीं होने से किसानों की आंखों में आंसू झलकने लगे। इस वर्ष किसानों को अपनी उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है। अन्नदाताओं की उम्मीदें मौसम की बेरुखी और बीमारी की मार से टूट गई हैं।
बता दें कि पानी की कमी के चलते सोयाबीन की फसलें पीली पड़कर पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं, जिससे किसानों की मेहनत और लागत दोनों पर पानी फिर गया है। किसानों की इस समस्या को लेकर श्री धाकड़ महासभा युवा संघ जिला अध्यक्ष नारायण मंडावलिया के नेतृत्व में मोर्चा संभाला और मंगलवार को अनुविभागीय अधिकारी नेहा साहू को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में तत्काल राहत और उचित मुआवजे की मांग की गई है, साथ ही मांग पूरी न होने पर किसानों के साथ मिलकर बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी भी दी गई है।
ज्ञापन में बताया गया कि इस वर्ष सावन बिना बरसे ही बीत गया। जिससे खेतों में खड़ी सोयाबीन की फसलें सूखने लगीं। रही-सही कसर 'पीला मोजेक' नामक बीमारी ने पूरी कर दी। इस बीमारी के कारण सोयाबीन के पौधे पीले पड़कर सूख रहे हैं और उन पर फलियां नहीं आ रही हैं। किसानों का कहना है कि उनकी दो महीने की कड़ी मेहनत और हजारों रुपये की लागत पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। कई किसानों ने तो कर्ज लेकर बुवाई की थी, जिसकी चिंता अब उन्हें सता रही है।
तत्काल सर्वे और मुआवजे की मांग
श्री धाकड़ महासभा युवा संघ ने ज्ञापन के माध्यम से सरकार से मांग की है कि जवाबदार कृषि अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से खाचरोद और आस-पास के गांवों में नुकसान का सर्वे करने का आदेश दिया जाए। उन्होंने कहा कि यह सर्वे सिर्फ कागजी खानापूर्ति न हो, बल्कि वास्तविक नुकसान का सही आकलन किया जाए। ज्ञापन में यह भी गया है कि सरकार को किसानों की इस बर्बादी पर तुरंत ध्यान देना चाहिए और उन्हें जल्द से जल्द उचित मुआवजा देकर राहत प्रदान करनी चाहिए।
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हिन्दुस्थान समाचार / Ravindra singh Raghuvanshi