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झज्जर, 12 अगस्त (हि.स.)। पुलिस के स्पेशल स्टाफ झज्जर और थाना आसौदा की संयुक्त टीम ने लगभग 23 साल पहले हुई हत्या के एक मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपी 23 साल से फरार रहकर ठिकाने बदलते रहे और पुलिस की आंखों में धूल झोंकते रहे। झज्जर पुलिस ने बिहार से पांच-पांच हजार रुपये के ईनामी इन दो हत्यारोपियों को दबोच लिया। इनकी गिरफ्तारी के साथ ही 2002 का एक सनसनीखेज मर्डर केस सुलझ गया है।
मामला 20 जुलाई 2002 का है। बिहार मूल का आज़ाद अपने भाई मोहम्मद आरिफ के साथ बहादुरगढ़ के आसौदा गांव में रहकर चिनाई मिस्त्री का काम करता था। आजाद के कमरे में गांव के ही मुन्नू और नजीर भी रहते और मजदूरी करते थे। उस दौरान मजदूरी के पैसों को लेकर आज़ाद और दोनों साथियों में तीखी कहासुनी हुई थी। विवाद ने खून का रूप ले लिया। आज़ाद का शव गली में पड़ा मिला। गले पर गहरा कट का निशान था और कमरे में चारपाई पर खून बिखरा था। वारदात के बाद मुन्नू और नजीर फरार हो गए।
21 जुलाई 2002 को आजाद के भाई आरिफ की शिकायत पर सदर थाना बहादुरगढ़ पुलिस ने हत्या का केस दर्ज किया। काफी तलाश के बावजूद आरोपी हाथ नहीं आए। फिर दिसंबर 2002 में अदालत ने दोनों को पीओ घोषित कर दिया। तलाश जारी रही लेकिन दोनों नहीं मिले। पहचान छिपाकर इधर-उधर भागते रहे। फिर 22 साल बाद 2024 में झज्जर पुलिस आयुक्त ने उन पर पांच-पांच रुपये का ईनाम रख दिया। डीसीपी क्राइम जसलीन कौर ने मामले को सुलझाने की जिम्मेदारी स्पेशल स्टाफ को दी। स्पेशल स्टाफ व आसौदा थाना की संयुक्त टीम ने फिर प्रयास तेज किए।
सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने खुफिया तंत्र और लगातार निगरानी के बलबूते तीन दिन पहले ही आरोपी नजीर को उसके गांव से पकड़ा। इसके बाद दूसरे आरोपी मानवीर उर्फ़ मन्नू निवासी भमेट, जिला पूर्णिया, बिहार को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है। मंगलवार को अदालत में पेश कर आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस आयुक्त डॉ. राजश्री सिंह ने कहा कि हत्या के 23 साल पुराने मामले को सुलझा लिया गया है। यह केस इस बात का सबूत है कि चाहे आरोपी कितना भी चालाक हो और फरार क्यों न होजाए कानून के हाथ से बच नहीं सकता।
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हिन्दुस्थान समाचार / शील भारद्वाज