वाराणसी: रतजगा कजरी पर शहर में जगह—जगह सजी जलेबा की दुकानें,खरीददारी के लिए उमड़ रही भीड़
—ग्रामीण अंचल में ढोलक-झाल की थाप पर कजरी गीत गाएंगी महिलाएं वाराणसी,11 अगस्त (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी काशी में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि सोमवार को रतजगा कजरी उत्सव को लेकर शहर और ग्रामीण अंचल में जलेबा की दुकाने सज गई है। दुकानों से जल
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—ग्रामीण अंचल में ढोलक-झाल की थाप पर कजरी गीत गाएंगी महिलाएं

वाराणसी,11 अगस्त (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी काशी में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि सोमवार को रतजगा कजरी उत्सव को लेकर शहर और ग्रामीण अंचल में जलेबा की दुकाने सज गई है। दुकानों से जलेबा की उठ रही खुशबु के बीच इसकी खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। शहरी इलाकों के बजाय पर्व को लेकर ग्रामीण अंचल की महिलाओं में खासा उत्साह हैं । घरों में लोग पूरे उत्साह से जलेबा की खरीददारी कर रहे हैं ।

पर्व पर महिलाएं जलेबा खाकर कर रतजगा करती हैं, ढोलक-झाल बजाकर कजरी गीत गाती है। पूरी रात नृत्य-संगीत का दौर चलता है और महिलाएं सामूहिक रूप से उत्सव का आनंद लेती हैं। सनातन धर्म में मान्यता है कि इस व्रत को करने से कुंवारी लड़कियों को जहां मनचाहा वर मिलता है। वहीं, सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्त होती है और पति को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। जगतगंज के जलेबी विक्रेता प्रकाश यादव बताते है कि रतजगा का पर्व जलेबा खाने-खिलाने तक सीमित हो गया है। शहरी इलाके में कजरी गाने और सुनने का उत्साह भी लोगों में नही है। कुछ मंदिरों में महिलाए कजरी गाकर त्यौहार का रस्म निभाती है।

वहीं, शिक्षिका आशा पांडेय कहती है कि आज कल हरियाली तीज,कजरी रतजगा विभिन्न सामाजिक क्लबों की महिलाएं मनाती है। आम महिलाओं में हरतालिका तीज को छोड़ कर कजरी रतजगा का उत्साह कम ही देखने को मिलता है। गौरतलब हो कि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर कजरी तीज का व्रत रखा जाता है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इसके अलावा कजरी तीज पर भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। निर्जला व्रत बिना पानी पिए 24 घंटे का होता है। व्रत शुरू होने से पहले सूर्योदय से पहले सरगी निगल कर महिलाए इसका शुरूआत करती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी