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धमतरी, 11 अगस्त (हि.स.)।हाथी-मानव द्वंद से विचलित हाथी शुभचिंतक वैभव जगने व प्रेमशंकर चौबे पिछले छह वर्षों से हाथियों के संरक्षण के लिए कार्य करते हुए आ रहे हैं। जागरूकता अभियान के दौरान इन्हाेंने लाख ताने सहे लेकिन इनका अभियान नहीं रूका। प्रेम शंकर चौबे और वैभव जगने कहते हैं कि हाथियों को बचाने के लिए हम जीवन भर ये कार्यक्रम करते रहेंगे और हाथियो की विशेषताएं लोगों को बताते रहेंगे।
12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस है। लगभग 100 गांवों को अभी तक अपने पोस्टर पम्पलेट व जागरूकता कार्यक्रम से जागरूक कर चुके हैं। जिसमें धमतरी, गरियाबंद, कांकेर, बालोद वन मंडल शामिल हैं। वैभव जगने ने हाथियों के संरक्षण को लेकर किताब मैं हाथी हूं भी लिखा है जिसका विमोचन इसी साल केके बिसेन पूर्व वन मंडल अधिकारी के हाथों हुआ था। इस किताब में जगने ने हाथियों के संरक्षण व उनके पीड़ा को दर्शाया है।
हाथी 2010 से राष्ट्रीय विरासत पशु का दर्जा प्राप्त है और यह किताब सभी पर्यावरण प्रेमियों के लिए पूर्ण रूप से निशुल्क भी है। इस हाथी बचाव मुहिम में इनके सहयोगी प्रेमशंकर चौबे ने भी लगभग छह सालों से इनका बखूबी साथ दिया है। प्रेम शंकर चौबे कहते हैं कि हाथियों को बचाने के लिए हम जीवन भर ये कार्यक्रम करते रहेंगे और हाथियो की विशेषताएं लोगों को बताते रहेंगे। एक दिन ऐसा आएगा कि मनुष्य और हाथियों में एक अलग प्रेम का रिश्ता देखने को मिलेगा। जिससे हाथी-मानव द्वंद पूर्ण रूप से बंद होता हुआ नजर आएगा।
इस हाथी जागरूकता के कार्यक्रम हाथी शुभचिंतकों को कई मुश्किलों का भी सामना करना पड़े जैसे ये जिस भी हाथी प्रभावित गांव में प्रचार प्रसार करने जाते तो ग्रामीण इन्हें बुरा-भला कहते। यहां तक इनके द्वारा चिपकाए हुए पोस्टर पम्पलेट को फाड़ देते लेकिन हाथी शुभचिंतक वैभव जगने और प्रेम शंकर चौबे ने हार नहीं मानी और लोगो को जागरूक करने का सिलसिला जारी रखा।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा