भारत तकनीक, नए विचारों और ‘मेक इन इंडिया’ पहलों के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है : बलवंत सिंह राजपूत
गांधीनगर में ‘रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता’ विषय पर हुआ सेमिनार गांधीनगर, 11 अगस्त (हि.स.)। गुजरात सरकार के उद्योग मंत्री बलवंत सिंह राजपूत ने कहा, “भारत तकनीक, नए विचारों और ‘मेक इन इंडिया’ पहलों के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है। एमसएमईएस के लिए यह
‘रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता’ विषय पर सेमिनार


‘रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता’ विषय पर सेमिनार


‘रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता’ विषय पर सेमिनार


गांधीनगर में ‘रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता’ विषय पर हुआ सेमिनार

गांधीनगर, 11 अगस्त (हि.स.)। गुजरात सरकार के उद्योग मंत्री बलवंत सिंह राजपूत ने कहा, “भारत तकनीक, नए विचारों और ‘मेक इन इंडिया’ पहलों के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है। एमसएमईएस के लिए यहां अपार संभावनाएं और अवसर मौजूद हैं।”

उद्योग मंत्री राजपूत सोमवार को गांधीनगर के एक होटल में भारत सरकार के रक्षा उत्पादन विभाग, गुजरात सरकार के उद्योग एवं खनन विभाग, गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और लघु उद्योग भारती के सहयोग से संयुक्त रूप से ‘रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता’ विषय पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि भारत का रक्षा विनिर्माण क्षेत्र तेज़ी से बदल रहा है और देश ‘आत्मनिर्भर भारत’ व ‘विकसित भारत@2047’ के लक्ष्यों की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस दिशा में निजी कंपनियों के साथ-साथ अब एमसएमईएस(सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) की भूमिका भी बहुत अहम हो गई है।

उन्होंने कहा कि गुजरात के पास इंजीनियरिंग, मैन्युफैक्चरिंग, एडवांस टेक्सटाइल और विशेष सामग्रियों का मज़बूत औद्योगिक आधार है, जिससे वह देश के रक्षा निर्माण में बड़ा योगदान दे सकता है। लेकिन कई गुजरात-आधारित एमसएमईएस को अभी भी राष्ट्रीय रक्षा आपूर्ति श्रृंखला में शामिल होने में कई प्रकार की मुश्किलें आती हैं। इस सेमिनार का उद्देश्य इन चुनौतियों को दूर करना और एमसएमईएस को रक्षा क्षेत्र में अधिक अवसर उपलब्ध कराना है।

भारत सरकार के रक्षा उत्पादन विभाग की संयुक्त सचिव मनीषा चंद्रा ने एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता तथा गुजरात की संभावनाओं पर विशेष संबोधन दिया। भारत सरकार के रक्षा उत्पादन विभाग के सचिव संजीव कुमार ने भी इस विषय पर अपने विचार साझा किए। लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष बलदेवभाई प्रजापति ने भी अपना विशेष संबोधन दिया।

गुजरात सरकार के उद्योग एवं खनन विभाग की प्रधान सचिव ममता वर्मा ने अपने मुख्य भाषण में कहा, “वर्तमान में इस क्षेत्र में 16,000 एमसएमईएस कार्यरत हैं। गुजरात में इस क्षेत्र की अपार संभावनाएं हैं और पिछले कुछ सालों में कई महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं। इस सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के लिए यह ज़रूरी है कि वे सरकार की योजनाओं का अधिकतम लाभ उठाएँ और सक्रिय नीतियों का सदुपयोग करें जिससे देश में रक्षा क्षेत्र की क्षमता और अधिक विकसित होगी।”

इसके अलावा मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) ए.के. चन्नन ने रक्षा खरीद प्रक्रिया पर अपने विचार साझा किए। गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के सौमेंदु रे ने रक्षा स्टार्टअप्स और नवाचार पर प्रस्तुति दी। सिडबी के उप महाप्रबंधक एस. मुरलीधरन, एलएंडटी प्रिसिजन इंजीनियरिंग एंड सिस्टम्स के सीनियर डिप्टी जनरल मैनेजर आनंद मिस्त्री तथा एचएएल के डिप्टी जनरल मैनेजर जावेद अली ने अपने संबोधनों में ‘रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता’ को भारत के लिए समय की आवश्यकता के रूप में रेखांकित किया। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स की टीम ने अपने 100 से अधिक योजनाओं के क्रियान्वयन और एयरोस्पेस, रक्षा, हथियार आदि के विभिन्न कारोबारी क्षेत्रों में किए जा रहे कार्यों की जानकारी साझा की। कार्यक्रम का समापन प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ।

इस अवसर पर रक्षा निर्माण क्षेत्र की कई कंपनियों जैसे एचएएल–हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड, अभ्युदय भारत प्रोजेक्ट्स प्रा. लि., यूनिक फोर्ज राजकोट, इनसाइड एफपीवी ड्रोन, कृष्णा इंजीनियरिंग, एसएलएस सिस्टम लेवल सॉल्यूशन, उर्जा प्रोडक्ट्स प्रा. लि., वेक्समा टेक्नोलॉजीज प्रा. लि., एक्सियो इंस्पायर्ड मेड टेक, सिडबी, स्पाइक इंजीनियरिंग आदि के स्टॉल भी प्रदर्शित किए गए।

कार्यक्रम का उद्देश्य और गुजरात के फोकस क्षेत्र

यह सेमिनार मुख्य रूप से तीन प्रमुख विषयों रक्षा क्षेत्र में वेंडर डेवलपमेंट कार्यक्रम, रक्षा क्षेत्र में स्टार्टअप्स, और गुजरात एयरोस्पेस एवं डिफेंस पॉलिसी पर केंद्रित था। इस सेमिनार का उद्देश्य भारत के रक्षा विनिर्माण तंत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना था, जिसमें गुजरात के एमसएमईएसको राष्ट्रीय रक्षा खरीद, नवाचार और निर्यात में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया गया। इसका उद्देश्य स्थानीय उद्योगों को रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक उपक्रम इकाइयों, प्रमुख निजी कंपनियों, सशस्त्र बलों तथा अनुसंधान एवं विकास संगठनों जैसे प्रमुख हितधारकों से जोड़ना भी था। साथ ही, यह सेमिनार गुजरात की औद्योगिक क्षमताओं को राष्ट्रीय रक्षा प्राथमिकताओं के साथ जोड़कर विकसित भारत@2047 के विज़न में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है।

इस कार्यक्रम में गुजरात के कई प्रमुख क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया, जिनमें इंजीनियरिंग, प्रिसीजन फैब्रिकेशन और मशीनिंग, रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं एम्बेडेड सिस्टम, यूएवी, एयरोस्पेस और एवियोनिक्स कंपोनेंट, आर्मर सिरेमिक्स और रक्षा वस्त्र, साथ ही विशेष रसायन, कोटिंग्स और कंपोज़िट मटीरियल शामिल हैं।

यह सेमिनार गुजरात की मजबूत औद्योगिक क्षमता को डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में इस्तेमाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस तरह के कार्यक्रम भारत को दुनिया के शीर्ष पाँच रक्षा उत्पादक देशों में लाने में मदद करेंगे। इस क्षेत्र में गुजरात के एमसएमईएसको मजबूत बनाना केवल राष्ट्रीय रक्षा प्राथमिकताओं के साथ ही नहीं, बल्कि ‘विकसित गुजरात @2047’ रोडमैप के तहत नवाचार-आधारित, उच्च-मूल्य वाले उद्योगों को प्रोत्साहित करने के राज्य के विज़न के साथ भी सुसंगत है।

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हिन्दुस्थान समाचार / Abhishek Barad