उत्तराखंड में बनी फिल्म 'टिंचरी माई द अनटोल्ड स्टोरी' का पोस्टर व ट्रेलर लाॅन्च
देहरादून, 11 अगस्त (हि.स.)। उत्तराखंड में बनी फिल्म ''टिंचरी माई द अनटोल्ड स्टोरी'' का पोस्टर व ट्रेलर लाॅन्च किया गया। देहरादून के प्रिंस चौक स्थित एक होटल में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ फिल्म निर्देशक केडी उनियाल, फिल्म निर्माता नवीन नौटियाल,
फिल्म का पाेस्टर लाॅच करते अतिथि।


देहरादून, 11 अगस्त (हि.स.)। उत्तराखंड में बनी फिल्म 'टिंचरी माई द अनटोल्ड स्टोरी' का पोस्टर व ट्रेलर लाॅन्च किया गया। देहरादून के प्रिंस चौक स्थित एक होटल में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ फिल्म निर्देशक केडी उनियाल, फिल्म निर्माता नवीन नौटियाल, लेखक लोकेश नवानी व अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया।

कार्यक्रम में मीडिया से बात करते हुए निर्देशक केडी उनियाल ने बताया कि यह फ़िल्म उत्तराखण्ड की प्रसिद्ध जोगन और सामाजिक आंदोलनकारी टिंचरी माई के जीवन से प्रेरित है और उनके संघर्ष, त्याग, दुःख, हिम्मत, जुझारूपन और सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई की कहानी को आधार बनाकर लिखी गई है। जिसका कथानक नया और समकालीन है। फिल्म के निर्माता नवीन नौटियाल ने बताया कि फ़िल्म की शूटिंग बौंठ गांव, टिहरी, चोपता, उखीमठ, धारी देवी, मलेथा, देवप्रयाग संगम, बुग्गावाला, ज्वाल्पाजी, गवांणी, देहरादून के झंडाजी महाराज, गांधी पार्क, माल देवता, राजपुर मार्ग और अन्य कई स्थानों पर हुई है। इस फ़िल्म में 50 से अधिक कलाकारों ने अभिनय किया है।

पत्रकार वार्ता में फिल्म के लेखक लोकेश नवानी ने बताया कि टिंचरी माई यानी ठगुली देवी का जन्म पौड़ी गढ़वाल के थलीसैंण ब्लॉक के मंज्यूर गांव में हुआ था। छोटी उम्र में ही उनके सिर से माता-पिता का साया उठ गया था और 13 साल की उम्र में उनका विवाह उनसे 11 साल बड़े गवांणी गांव के गणेशराम नवानी से हो गया। फौजी गणेशराम उन्हें अपने साथ क्वेटा ले गए। द्वितीय विश्वयुद्ध में उनके शहीद होने के बाद वह अकेली रह गई। वे अपने दो बच्चों को लेकर गांव लौटीं तो कुछ समय बाद हैजे से उनके दोनों बच्चों की माैत हो गई। नवानी ने बताया कि परिवार और समाज ने न केवल उनका तिरस्कार किया, बल्कि इतना प्रताड़ित किया कि उन्होंने घर त्याग दिया और उस समय के पिछड़े हुए क्षेत्र कोटद्वार भाबर में आकर जोगन बन गईं। अब उनके जीवन की नई लड़ाई सामाजिक सरोकारों की शुरू हुई। टिंचरी माई ने स्वयं शिक्षित न होते हुए भी समाज में निरक्षरता दूर करने के लिए मोटाढाक कोटद्वार में स्कूल खोला, सिगड्डी गांव में पीने के पानी की लड़ाई लड़ी और टिंचरी जैसी बुराई के खिलाफ़ एक सामाजिक आन्दोलन चलाया। जिसमें उन्होंने टिंचरी यानी शराब बेचने वाले माफिया की दुकान को आग लगा दी। यह फ़िल्म समाज की पितृसत्तात्मक बनावट, स्त्री सशक्तीकरण और सामाजिक बदलाव जैसे सवालों को उठाती है।

हिन्दुस्थान समाचार / विनोद पोखरियाल