मप्र में जनसुरक्षा के लिए अब डायल 112 होगी एकल एजेंसी आधारित सेवा
- सुरक्षा संबंधी विभिन्न नागरिक सेवाओं को 112 के साथ किया गया इंट्रीगेट भोपाल, 11 अगस्त (हि.स.)। मध्य प्रदेश में जनसुरक्षा के लिये अब डायल 112 को एकल एजेंसी आधारित सेवा बनाया गया है। जनसुरक्षा के सतत् विकास, बढ़ती नागरिक अपेक्षाएं, शहरी जटिलता और विभ
नागरिक सेवाओं को 112 के साथ किया गया इंट्रीगेट


- सुरक्षा संबंधी विभिन्न नागरिक सेवाओं को 112 के साथ किया गया इंट्रीगेट

भोपाल, 11 अगस्त (हि.स.)। मध्य प्रदेश में जनसुरक्षा के लिये अब डायल 112 को एकल एजेंसी आधारित सेवा बनाया गया है। जनसुरक्षा के सतत् विकास, बढ़ती नागरिक अपेक्षाएं, शहरी जटिलता और विभिन्न आपातकालीन एजेंसियों के साथ समन्वित संचालन की आवश्यकता के चलते एकल एजेंसी निर्धारित की गई है। अब डायल 112 सेवा के साथ विभिन्न सुरक्षा संबंधी नागरिक सेवाओं को समेकित किया गया है।

रेडियो अधिकारियों के मुताबिक मध्य प्रदेश के इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम डायल-100 के अपग्रेड वर्जन डायल 112 की लॉन्चिंग की तैयारी पूरी हो गई है। आगामी 15 अगस्त से डायल 112 सेवा शुरू की जाएगी। रिस्पांस टाइम कम करने और इसे प्रभावी बनाने के लिए एआइ आधारित ऑटो डिस्पैच तकनीक को लागू किया जाएगा। इससे नंबर बार-बार व्यस्त मिलने की समस्या नहीं होगी।

जनसम्पर्क अधिकारी पंकज मित्तल ने सोमवार देर शाम उक्त जानकारी देते हुए बतायाकि भारत सरकार की आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली की परिकल्पना के अनुरूप, देश में इमरजेंसी नंबर-112 योजनांतर्गत प्रदेश की पुलिस आपातकालीन सेवा (112), स्वास्थ्य/ एम्बु्लेंस सेवा (108), अग्निशमन सेवा (101), महिला हेल्पलाइन (1090), नेशनल सायबर क्राईम हेल्पलाईन (1930), रेल मदद हेल्पलाईन (139), मध्य प्रदेश रोड डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन - एक्सिडेंट रिस्पांस सर्विस (हाईवे टोल नाका 1099), राज्य प्राकृतिक आपदा प्रबंधन (एस.डी.एम.ए.-1079), राज्य परिवहन विभाग पेनिक बटन एवं गुप्तवार्ता विशेष शाखा पुलिस मुख्यालय महिला एवं चाईल्ड- हेल्प लाईन (181,1098) आदि सेवाओं को एक ही नम्बर 112 के साथ इंटीग्रेट किया गया है।

उन्होंने बताया कि डायल 112 सेवा से प्रदेश में अपराधों में कमी आई है, तथा दिन में सार्वजनिक स्थानों पर पुलिस की उपस्थिति से जनता में सुरक्षा की भावना उत्पन्न हुई है। इसमें हर नागरिक के लिए तेज़, समन्वित और जवाबदेह आपातकालीन प्रतिक्रिया सुनिश्चित हुई। यह प्रणाली आज भी अपने मूल तकनीकी ढांचे और FRVs के साथ समाज के कमजोर वर्गों तक सहायता पहुँचाने में सक्षम बनी हुई है।

डायल-112 का यह चरण न केवल इसकी बुनियादी ताकतों को सुदृढ़ करेगा, बल्कि इसे एक स्मार्ट, समावेशी और पूर्वानुमान-सक्षम आपातकालीन शासन का मानक बनाएगा। डेटा एनालिटिक्स, उन्नत लोकेशन ट्रैकिंग और IoT-सक्षम फील्ड विजिबिलिटी के माध्यम से यह प्रणाली अब तेजी से प्रतिक्रिया देने, रीयल टाइम फीडबैक लूप से सीखने और बदलते खतरों के अनुसार खुद को ढालने में सक्षम बन रही है—चाहे वह शहरी अपराध हों या जलवायु जनित आपदाएं।

01 नवम्बर 2015 में शुरू की गई डायल-100 सेवा भारत की पहली केंद्रीकृत, राज्य-व्यापी पुलिस आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली थी, जिसे मध्यप्रदेश सरकार ने अग्रणी रूप से लागू किया। इस सेवा का उद्देश्य था कि पूरे राज्य—चाहे शहरी हो या ग्रामीण क्षेत्र—में संकट की स्थिति में नागरिकों को त्वरित, प्रभावी और तकनीक-सक्षम पुलिस सहायता उपलब्ध कराई जा सके। इस प्रणाली का केंद्र बिंदु भोपाल स्थित अत्याधुनिक सेंट्रल कमांड एंड कंट्रोल सेंटर था। नागरिक टोल-फ्री नंबर 100 पर कॉल कर सकते थे, जहां प्रशिक्षित कॉल टेकर कंप्यूटर-सहायता प्राप्त डिस्पैच सॉफ़्टवेयर के माध्यम से निकटतम उपलब्ध डायल-100 प्राथमिक प्रतिक्रिया वाहन (FRV) की पहचान कर उन्हें तुरंत भेजते थे।

इस प्रणाली में 1,000 जीपीएस-सक्षम चार-पहिया FRV और 150 दो-पहिया इकाइयाँ शामिल थीं, जिन्हें मोबाइल फोन और मोबाइल डेटा टर्मिनल्स (MDT) से लैस किया गया था। डायल 112 कॉल सेंटर में आपातकाल में कॉलर की लोकेशन प्राप्त करने के लिए LBS (Location Based System) स्थापित है। अब पुलिस के इमरजेंसी वाहन औसतन लगभग 16 मिनट में मदद चाहने वालों के पास उनके द्वार पहुँच रही है। न्याय जन-जन के दरवाजे तक पहुंचाने का संकल्प डायल -100/112 की मदद से सार्थक हो रहा है।

नई डायल-112 प्रणाली की प्रमुख विशेषताएं:

- प्रत्येक शिफ्ट में 100 एजेंट की क्षमता वाला नया कॉन्टैक्ट सेंटर, जिसमें 40 सीटों का डिस्पैच यूनिट है।

- पीआरआई लाइनों से SIP आधारित ट्रंक लाइन पर माइग्रेशन, जिससे 112 पर कॉल एक्सेस अधिक सहज हो।

- उन्नत बिज़नेस इंटेलिजेंस (BI) और MIS रिपोर्टिंग टूल्स।

- नागरिकों और FRV के बीच संपर्क को बेहतर बनाते हुए गोपनीयता बनाए रखने हेतु नंबर मास्किंग समाधान।

- FRV के रख-रखाव को ट्रैक करने हेतु समग्र फ्लीट मैनेजमेंट सॉफ़्टवेयर।

- चैटबॉट जैसे नॉन-वॉयस माध्यमों द्वारा नागरिकों से संवाद और शिकायतों की ट्रैकिंग।

- नागरिकों और पुलिस अधिकारियों के लिए विशेष मोबाइल ऐप्स।

- ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम (HRMS) सॉफ़्टवेयर, बायोमेट्रिक उपस्थिति के साथ।

- FRVs में डैशबोर्ड कैमरा और बॉडी वॉर्न कैमरा की व्यवस्था।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर