वैश्विक मानकों पर खरा उतरने के प्रयास करें समस्त उच्च शिक्षण संस्थान: राजन
- मुख्य सचिवों की पाँचवी कॉन्फ्रेंस के लिए कॉन्सेप्ट तैयार करने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न भोपाल, 11 अगस्त (हि.स.)। मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव अनुपम राजन के मुख्य आतिथ्य में सोमवार को भोपाल स्थित आरसीवीपी नरोन्‍हा प्र
मुख्य सचिवों की पाँचवी कॉन्फ्रेंस के लिए कॉन्सेप्ट तैयार करने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला


- मुख्य सचिवों की पाँचवी कॉन्फ्रेंस के लिए कॉन्सेप्ट तैयार करने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न

भोपाल, 11 अगस्त (हि.स.)। मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव अनुपम राजन के मुख्य आतिथ्य में सोमवार को भोपाल स्थित आरसीवीपी नरोन्‍हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी में पांचवीं राष्ट्रीय मुख्य सचिव कांफ्रेंस के लिए कॉन्सेप्ट नोट तैयार करने को लेकर विकसित भारत के लिए मानव पूंजी (Human Capital For Viksit Bharat) विषय अंतर्गत 'उच्च शिक्षा : ज्ञान अर्थव्यवस्था' परएक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला हुई।

अपर मुख्य सचिव राजन ने कार्यशाला की पृष्ठभूमि एवं अवधारणा के आलोक में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालय एवं उच्च शैक्षणिक संस्थान, वैश्विक मानकों पर खरा उतरने के प्रयास करें। अपने विश्वविद्यालयों को वैश्विक स्तर पर उत्कृष्टता में लाने के लिए कार्य करें। वर्तमान परिदृश्य के अनुरूप शैक्षिक परिदृश्य की उत्कृष्टता में उत्तरोत्तर वृद्धि करने के प्रयास किए जाएं। राजन ने कहा कि विकसित भारत@2047 की संकल्पना के अनुरूप कार्य करने की आवश्यकता है, इसके लिए उद्योग जगत की आवश्यकता एवं मांग के अनुरूप उद्योग-अकादमी सहयोग को सुदृढ़ करने की दिशा में व्यापक क्रियान्वयन करें।

उच्च शिक्षा आयुक्त प्रबल सिपाहा ने स्वागत उद्बोधन दिया एवं कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। मप्र प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति के अध्यक्ष डॉ रवींद्र कान्हेरे ने उच्च शिक्षा में व्यवहारिक शिक्षा के संदर्भ में अपने उद्गार व्यक्त किए। विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी डॉ. दिवा मिश्रा ने कार्यशाला की अवधारणा एवं ध्येय पूर्ति को लेकर विशेष प्रस्तुतिकरण दिया। विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी डॉ अनिल पाठक ने मंच संचालन किया।

कार्यशाला में विभिन्न सत्रों में उच्च शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में विविध चुनौतियों के समाधान को लेकर परिचर्चा हुई। पहले सत्र में तकनीक-तैयार मानव संसाधन तैयार करने, दूसरे सत्र में उद्योग-अकादमी सहयोग को मज़बूत करने, तीसरे सत्र में अंतःविषयक शिक्षण को बढ़ावा देने, चौथे सत्र में शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण को आगे बढ़ाने एवं पांचवें सत्र में राज्य के सार्वजनिक विश्वविद्यालयों (एसपीयू) को वैश्विक मानकों तक उन्नत करने को लेकर व्यापक विचार मंथन हुआ।

कार्यशाला में उद्योग-अकादमिक साझेदारी के लिए एक टेम्पलेट/ढांचे का विकास, अनुसंधान उत्कृष्टता और शैक्षणिक नवाचार को बढ़ावा देना, ट्रांसलेशनल रिसर्च ज़ोन (TRZ) और राज्य नवाचार एंकर बनाना, हर स्तर पर अंतःविषय शिक्षा के लिए एक रणनीतिक रोडमैप तैयार करना, राज्यों में कृषि-तकनीक कौशल और कृषि विश्वविद्यालयों में सुधार, उभरते रोज़गार रुझानों पर नज़र रखने के लिए प्रणालियाँ बनाना और कार्यरत पेशेवरों के लिए पुनर्कौशल और अपस्किलिंग कार्यक्रम प्रदान करना, कृषि-उद्योग संबंधों के लिए एकल-खिड़की डेटाबेस विकसित करना, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (SPU) में विश्व स्तरीय शासन और नेतृत्व का निर्माण, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (SPU) के लिए स्थायी वित्तीय मॉडल, अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए प्रवेश प्रक्रियाओं को अनुकूलित करना, भारतीय शिक्षा की वैश्विक ब्रांडिंग को बढ़ावा देना एवं वैश्विक उच्च शिक्षा गलियारों को बढ़ावा देना आदि विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर सार्थक एवं प्रभावी विमर्श हुआ।

कार्यशाला में विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलगुरु, प्राध्यापक, प्राचार्य, उद्योगपति आदि ने उपस्थित होकर विविध चुनौतियों एवं उनके समाधान पर चर्चा-परिचर्चा की। कार्यशाला में प्राप्त सुझावों के आधार पर उच्च शिक्षा विभाग का कॉन्सेप्ट तैयार किया जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर