Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
समस्तीपुर, 10 अगस्त (हि.स.)। बिहार में तत्कालीन दरभंगा जिले के ताजपुर (वर्तमान में जिला समस्तीपुर) में 18 जुलाई 1920, को स्वतंत्रता सेनानी स्व. रामचंद्र उपाध्याय का जन्म हुआ था। जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत माता के श्रीचरणों में अप्रित कर दिया।
माता ज्वाला देवी और पिता चतुर्भुज उपाध्याय के घर में जन्मे स्व.रामचंद्र उपाध्याय से पिता का साया मात्र ढाई साल की उम्र में ही छीन गया। स्व.रामचंद्र उपाध्याय ने देश की आजादी में अपना सर्वस्य योगदान दिया। पूरे जावन काल अपने स्वाभिमान से न समझौता करने वाले रामचंद्र उपाध्याय ने देश की आजादी के बाद मिलने वाले स्वतंत्रता सेनानी पेंशन योजना लेने से भी इंनकार कर दिया।
इनके सुपुत्र त्रिलोकनाथ उपाध्यय ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कहा कि स्वतंत्रता सेनानी स्व रामचंद्र उपाध्याय ने अपनी जीविका की शुरुआत अस्पताल में कंपाउंडर के तौर पर शुरु की। जब देश में 1942 की क्रांति ने जोर पकड़ा तो रामचंद्र उपाध्याय के मन में भी अपनी जन्मभूमि के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत से उन्होंने 1942 में अस्पताल में कंपाउंडर की नौकरी छोड़कर स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से अपनी भागिदारी देने का संकल्प ठान कर कूद पड़े।
त्रिलोकनाथ उपाध्याय ने बताया कि उनके पिता (रामचंद्र उपाध्याय) उस समय काला पानी की सजा पाने वाले वीर सपूत दरभंगा जिले के वासी कुलानंद वैदिक से प्रैरणा लेकर इस देश की आजादी के आंदोलन में सक्रिय हुए। उन्होंने टेलीफोन का तार उखाड़ा, कोआरी में रेल की पटरी उखाड़ी और अंग्रेजों के विरुद्ध कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। वैदिक जी के मार्गदर्शन में वे हस्तलिखित समाचार पत्र लिखते और बांटते थे। त्रिलोकनाथ ने कहा कि गिरफ्तारी के आदेश के बाद रामचंद्र उपाध्याय भूमिगत हो गए। आजादी के बाद वे सार्वजनिक जीवन और समाज सेवा में लग गए।
उनके पुत्र त्रिलोकनाथ ने बताया कि सार्वजनिक जीवन में आने के पश्चात उन्होंने बालिकाओं की शिक्षा के लिए कन्या मध्य विद्यालय, ताजपुर की स्थापना की और इसके लिए भूमि का प्रबंध महाराजाधिराज काशी नरेश विभूति नारायण सिंह से कराया। इसी प्रकार, प्राथमिक विद्यालय, हिंदी की स्थापना के लिए ताजपुर ठाकुरबाड़ी के पीछे 5 कट्ठा जमीन रामपुरा महंत विशेश्वरदास से उपलब्ध करवाई। उन्होंने जनसहयोग से जमुआरी नदी (ताजपुर एवं भरोखड़ा के मध्य) पर आरसीसी पुल का निर्माण कराया तथा मोक्ष धाम के लिए रास्ता भू-स्वामियों से प्राप्त कर उसका निर्माण कराया। इसके अतिरिक्त उन्होंने ताजपुर-आधारपुर लिंक रोड का निर्माण, ताजपुर उच्च विद्यालय के भवन निर्माण में योगदान, काली तालाब, भरोखड़ा प्राथमिक विद्यालय का निर्माण, उदयपुर मध्य विद्यालय का निर्माण, चकहैदर ग्राम में प्राथमिक विद्यालय का निर्माण और मोतीपुर में कन्या विद्यालय की स्थापना में उनका सक्रिय योगदान रहा। उन्होंने पिछड़ी एवं अन्य पिछड़ी जातियों के बीच विद्यालय निर्माण कर वंचित वर्गों को आगे आने में विशेष भूमिका निभाई।
त्रिलोकनाथ ने बताया कि आर्थिक अभाव के बावजूद उन्होंने अपने परिवार का भरण-पोषण ईमानदारी से किया। उनका निधन 22 अप्रैल 1995 को 76 वर्ष की आयु में हुआ।
हिन्दुस्थान समाचार / त्रिलोकनाथ उपाध्याय