पत्रकारिता शिक्षा से रोजगार के नए अवसर: कल्याणी विश्वविद्यालय की पहल
नदिया, 10 अगस्त (हि. स.)। कल्याणी विश्वविद्यालय ने पत्रकारिता के छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक दस दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत की है। बांग्ला विभाग की ओर से आयोजित यह कार्यशाला 17 अगस्त तक चलेगी, जिसमे
कार्यशाला की तस्वीर


नदिया, 10 अगस्त (हि. स.)। कल्याणी विश्वविद्यालय ने पत्रकारिता के छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक दस दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत की है। बांग्ला विभाग की ओर से आयोजित यह कार्यशाला 17 अगस्त तक चलेगी, जिसमें छात्रों को फील्ड रिपोर्टिंग, साक्षात्कार कला, समाचार संपादन, फोटो पत्रकारिता और डिजिटल न्यूज़ प्रोडक्शन जैसे विषयों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. देवांशु रॉय ने कहा कि पत्रकारिता आज केवल सूचना का माध्यम नहीं, बल्कि युवाओं के लिए एक सशक्त करियर विकल्प बन चुका है। उन्होंने पत्रकारों को ईमानदारी, निष्पक्षता और सूचना की गुणवत्ता बनाए रखने की सलाह दी।

डिजिटल युग में समाचारों की पहुँच सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से तेज़ी से बढ़ रही है। ऐसे में पत्रकारों को त्वरित, सटीक और निष्पक्ष रिपोर्टिंग का प्रशिक्षण देना समय की मांग है। सरकारी नौकरियों के घटते अवसरों के बीच इस तरह के कौशल-आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम युवाओं को नए रोजगार के रास्ते दिखा रहे हैं।

कार्यशाला में विभिन्न विश्वविद्यालयों के मीडिया स्टडीज़ विशेषज्ञ, प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के वरिष्ठ पत्रकार और संपादक बतौर प्रशिक्षक शामिल हो रहे हैं। लेखक विनायक बंद्योपाध्याय ने कहा कि साहित्य पत्रकारिता का पूरक है और यह पत्रकार को भाषा और अभिव्यक्ति की शक्ति प्रदान करता है। कवि चिन्मय कुमार दास ने पत्रकारिता को राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भागीदारी का सशक्त माध्यम बताया।

कोर्स निदेशक प्रो. सुखेन विश्वास ने बताया कि विश्वविद्यालय के कई पूर्व छात्र आज विभिन्न मीडिया संस्थानों में सफलतापूर्वक कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) भी विषय विशेष ज्ञान के साथ व्यावसायिक कौशल विकसित करने पर जोर देती है और यह कार्यशाला उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

बांग्ला विभाग की प्रमुख प्रो. नंदिनी बनर्जी ने कहा कि समाचार अब जीवन को दिशा देने वाला कारक बन चुका है। इसकी प्रस्तुति की कला सीखना, प्रभाव पैदा करने की क्षमता हासिल करना है।

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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय

 

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