फ्रंटलाइन स्टील्थ फ्रिगेट 'उदयगिरि' और 'हिमगिरि' 26 अगस्त को नौसेना के समुद्री बेड़े में शामिल होंगे
अग्रिम पंक्ति के स्टील्थ फ्रिगेट 'उदयगिरि' और 'हिमगिरि' को भारतीय नौसेना अपने समुद्री बेड़े में शामिल करने के लिए तैयार है। यह पहली बार होगा जब दो प्रतिष्ठित भारतीय शिपयार्डों के दो प्रमुख सतही लड़ाकू जहाजों को एक ही समय में 26 अगस्त को विशाखापत्तनम में नौसेना में शामिल किया जाएगा।
फ्रंटलाइन स्टील्थ फ्रिगेट उदयगिरि

- दो जहाजों का एक साथ नौसेना में शामिल होना भारत के तेजी से बढ़ते नौसैनिक आधुनिकीकरण का प्रमाण

नई दिल्ली, 10 अगस्त (हि.स.)। अग्रिम पंक्ति के स्टील्थ फ्रिगेट 'उदयगिरि' और 'हिमगिरि' को भारतीय नौसेना अपने समुद्री बेड़े में शामिल करने के लिए तैयार है। यह पहली बार होगा जब दो प्रतिष्ठित भारतीय शिपयार्डों के दो प्रमुख सतही लड़ाकू जहाजों को एक ही समय में 26 अगस्त को विशाखापत्तनम में नौसेना में शामिल किया जाएगा। दो जहाजों का एक साथ नौसेना में शामिल होना भारत के तेजी से बढ़ते नौसैनिक आधुनिकीकरण और विभिन्न शिपयार्डों से अत्याधुनिक युद्धपोतों की आपूर्ति करने का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

प्रोजेक्ट 17ए के तहत स्टील्थ फ्रिगेट्स का दूसरा जहाज 'उदयगिरि' मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने निर्मित किया है, जबकि 'हिमगिरि' कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स में निर्मित इसी प्रोजेक्ट का पहला जहाज है। भारतीय नौसेना के लिए एक और बड़ी उपलब्धि यह है कि उदयगिरि नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो में डिजाइन किया गया 100वां जहाज है। डिजाइन के लिहाज से देखा जाए तो उदयगिरि और हिमगिरि अगली पीढ़ी के जहाज हैं। लगभग 6,700 टन विस्थापन वाले प्रोजेक्ट 17ए के यह फ्रिगेट अपने पूर्ववर्ती शिवालिक-श्रेणी के फ्रिगेट से लगभग पांच प्रतिशत बड़े हैं। फिर भी इनका आकार अधिक सुडौल है और इनका रडार क्रॉस सेक्शन कम है।

नौसेना के मुताबिक इन्हें डीजल इंजन और गैस टर्बाइनों का उपयोग करते हुए संयुक्त डीजल या गैस प्रणोदन संयंत्रों से संचालित किया जाता है, जो नियंत्रणीय-पिच प्रोपेलर चलाते हैं और एक एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से प्रबंधित होते हैं। हथियार सूट में सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, 76 मिमी एमआर गन और 30 मिमी और 12.7 मिमी क्लोज-इन हथियार प्रणालियों और पनडुब्बी रोधी/पानी के नीचे की हथियार प्रणालियों का संयोजन शामिल है। दोनों जहाजों के निर्माण में 200 से अधिक एमएसएमई का सहयोग रहा है। इनसे लगभग 4,000 प्रत्यक्ष नौकरियों और 10 हजार से अधिक अप्रत्यक्ष नौकरियों का मौका मिला है।

आत्मनिर्भरता का एक गौरवशाली प्रमाण

उदयगिरि और हिमगिरि का जलावतरण जहाजों के डिजाइन और निर्माण में आत्मनिर्भरता के प्रति नौसेना की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसके बाद अन्य स्वदेशी जहाजों, जैसे विध्वंसक आईएनएस सूरत, फ्रिगेट आईएनएस नीलगिरि, पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर, पनडुब्बी आईएनएस अर्णाला और गोताखोरी सहायता पोत आईएनएस निस्तार का जलावतरण 2025 में ही होगा। कठोर समुद्री परीक्षणों के दौरान फ्रिगेट्स के पतवार, मशीनरी, अग्निशमन, क्षति नियंत्रण, नौवहन और संचार प्रणालियों ने पुष्टि की है कि वे परिचालन तैनाती के लिए तैयार हैं।​ विशाखापत्तनम में होने वाला समारोह आत्मनिर्भर समुद्री रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र की ओर भारत की यात्रा का उत्सव होगा।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत निगम