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मैड्रिड, 10 अगस्त (हि.स.)। स्पेन सहित आठ यूरोपीय देशों ने इजराइल की गाजा सिटी पर कब्जे की योजना को लेकर कड़ा विरोध जताया है। इन देशों ने चेतावनी दी है कि इस कदम से बड़े पैमाने पर नागरिकों की मौत हो सकती है और लगभग दस लाख फिलिस्तीनियों को जबरन विस्थापित होना पड़ सकता है। दरअसल, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सुरक्षा कैबिनेट ने गाजा सिटी पर नियंत्रण के लिए बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान की मंजूरी दी थी। इस फैसले के बाद इजराइल के भीतर और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विरोध के स्वर तेज हो गए हैं।
आठों देशों के विदेश मंत्रियों के संयुक्त बयान में कहा है कि यह निर्णय “मानवीय संकट को और गहरा करेगा तथा शेष बंधकों के जीवन को और अधिक खतरे में डालेगा।” बयान में अनुमान जताया गया कि इस अभियान से “अस्वीकार्य स्तर पर नागरिक मौतें” होंगी और लाखों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर होंगे।
विदेश मंत्रियों ने यह भी कहा कि गाजा सिटी पर कब्जा और सैन्य नियंत्रण, दो-राष्ट्र समाधान की दिशा में एक “बड़ा अवरोध” साबित होगा, जो ही व्यापक, न्यायपूर्ण और स्थायी शांति का एकमात्र मार्ग है।
इस बयान पर स्पेन के अलावा आइसलैंड, आयरलैंड, लक्जमबर्ग, माल्टा, नॉर्वे, पुर्तगाल और स्लोवेनिया ने हस्ताक्षर किए हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, इजराइल के कुछ सहयोगी देशों सहित कई शक्तियां बंधकों की रिहाई और गाजा में मानवीय संकट को कम करने के लिए वार्ता के जरिए युद्धविराम की अपील कर रही हैं।
विरोध और इजराइली सेना के वरिष्ठ अधिकारियों में असहमति की अटकलों के बावजूद, प्रधानमंत्री नेतन्याहू अपनी गाजा सिटी कब्जे की योजना पर अडिग बने हुए हैं। रविवार शाम एक पत्रकारवार्ता में नेतन्याहू ने अपनी योजनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि हमास को हराने के बाद वह गाजा में एक 'नागरिक प्रशासन' स्थापित करना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने दावा किया कि गाजा शहर पर कब्जा करने की उनकी योजना युद्ध समाप्त करने का सबसे तेज तरीका है।
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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय