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पूर्वी चंपारण,10 अगस्त (हि.स.)। वीरगंज स्थित नेपाल सीमा शुल्क कार्यालय और नेपाल के पर्सा जिला प्रशासन के बीच भारतीय वाहनों की प्रवेश प्रक्रिया को लेकर विवाद गहरा गया है।
मधेश प्रदेश सरकार ने हाल ही में सभी जिला प्रशासन कार्यालयों को निर्देश जारी कर भारतीय पर्यटकों के आवागमन को आसान बनाने को कहा था। इसके तहत पर्सा प्रशासन ने वीरगंज सीमा शुल्क कार्यालय में नई व्यवस्था लागू करने का प्रयास किया, लेकिन सीमा शुल्क विभाग की असहमति के कारण यह लागू नहीं हो पाई।
नई व्यवस्था के अनुसार, भारतीय दोपहिया और चारपहिया वाहन वीरगंज सीमा शुल्क कार्यालय की मुख्य सड़क से सीधे प्रवेश कर सकते थे, जहां नेपाल आर्म्ड पुलिस फोर्स, नेपाल पुलिस और सीमा शुल्क विभाग संयुक्त रूप से जांच कर वाहनों पर स्टिकर लगाया जाता, और जिसके बाद जिले में पुनः जांच की आवश्यकता नहीं रहती। इस व्यवस्था से समय की बचत और प्रक्रिया की सरलता की उम्मीद थी।
हालांकि, वीरगंज सीमा शुल्क कार्यालय के प्रमुख प्रशासक दीपक लामिछाने ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्षों से चली आ रही परंपरागत प्रक्रिया में बदलाव स्वीकार्य नहीं है। उनके अनुसार, भारतीय वाहनों को प्रतिदिन सीमा शुल्क कार्यालय में प्रवेश पंजीकरण और राजस्व भुगतान की अनिवार्य प्रक्रिया पूरी करनी होगी, जिसके बाद ही नेपाल में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह विभागीय जिम्मेदारी है और प्रशासन का प्रत्यक्ष हस्तक्षेप स्वीकार नहीं होगा।
वर्तमान में व्यवस्था यह है कि भारतीय वाहन शंकराचार्य गेट से यार्ड में प्रवेश करते हैं, प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही वीरगंज में प्रवेश पाते हैं, जबकि वापसी मुख्य मार्ग से होती है। इस विवाद के बीच वीरगंज उद्योग वाणिज्य संघ सक्रिय हो गया है। संघ के उपाध्यक्ष माधव राजपाल ने कहा कि नई व्यवस्था लागू होने से भारतीय पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, जिससे होटल, पर्यटन और अन्य व्यवसायों को लाभ होगा। उन्होंने इसे सहज, व्यवस्थित और विवाद रहित व्यवस्था बताते हुए लागू करने की मांग की।विजिट मधेश के संयोजक ओम प्रकाश सर्राफ ने भी कहा कि नई नीति सीमा शुल्क विभाग और प्रशासन के बीच सामंजस्य की कमी के कारण लागू नहीं हो पाई है। उन्होंने इस मुद्दे के दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता पर बल दिया।
फिलहाल, भारतीय वाहनों के प्रवेश पर विवाद के चलते मधेश प्रदेश सरकार के निर्देश कागजों तक सीमित हैं और पर्यटकों को पुरानी प्रक्रिया से ही गुजरना पड़ रहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / आनंद कुमार