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मंडी, 10 अगस्त (हि.स.)। आर्य समाज की स्थापना के डेढ़ सौ वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आर्य समाज मंदिर मंडी में आयोजित श्रावणर पर्व, वेद सप्ताह का समापन, रविवार को हवन-पूर्णाहुति और यजमानों को आशीर्वाद के साथ संपन्न हो गया। छह अगस्त से शुरू हुए इस श्रावणी महोत्सव में आर्यजगत के प्रख्यात विद्वान आचार्य रणवीर शास्त्री सहारनपुर ने प्रतिदिन सुबह-शाम वेद ज्ञान गंगा प्रवाहित की। वहीं पर करनाल से युवा भजनोपदेशक कुलदीप भास्कर ने अपने भजनों की मधुर स्वर-लहरियों से वातावरण को भक्तिमय बनाया।
रविवार को श्रावणी महोत्सव के समापन अवसर पर चतुर्वेद शतकम यज्ञ हवन-पूर्णाहुति के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर आचार्य रणवीर शास्त्री ने कहा कि परमात्मा सभी की प्रार्थना पूर्ण करता है। उन्होंने कहा कि प्रार्थना न तो मांगना है और न ही याचना है। प्रार्थना का अर्थ ऐसी इच्छा है जिसे पूरा करने के लिए मनुष्य भरसक प्रयास करता है।
उन्होंने कहा कि मुत्यु किसकी होती है शरीर की या आत्मा की, आत्मा से शरीर का अलग होना ही मृत्यु है। जितने दिन दोनों साथ रहे जीवन और अलग हो गए तो मृत्यु। जबकि शरीर और आत्मा का मिलन जन्म है। आचार्य ने समझाया कि शरीर आत्मा का रथ है, और आत्मा सारथी। मनुष्य के शरीर में आत्मा रूपी रथी के होते यह शरीर चलता रहता है। लेकिन जैसे ही इस शरीर को चलाने वाला आत्मा रूपी रथी से रिक्त हो जाता है। तो यह अर्थी कहलाता है। उन्होंने कहा कि विद्या की चाह रखने वाला विद्यार्थी कहलाता है और उसी प्रकार अर्थी से पहले सुखार्थी और पुरूषार्थी शब्दों के मेल से अर्थ बदल जाते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रार्थना ऐसी उत्कट इच्छा है, जिसकी पूर्ति के लिए मनुष्य कुछ भी कर सकता है। इस अवसर पर आर्य समाज मंदिर कमेटी के प्रधान अरूण कुमार कोहली ने श्रावणी पर्व के आयोजन में सहयोग देने के लिए आर्य समाज मंडी के समस्त सदस्यों का आभार व्यक्त किया। वहीं पर सहारनपुर उत्तर प्रदेश से आए वेदाचार्य आचार्य रणवीर शास्त्री और करनाल हरियाणास से आए भजनोपदेशक कुलदीप भास्कर का भी आभार व्यक्त किया। जिन्होंने इस श्रावणी पर्व में वैदिक ज्ञान की गंगा प्रवाहित कर सबको निहाल कर दिया। इस अवसर पर सामुहिक आशीर्वाद का आयोजन भी किया गया। इसके पश्चात प्रसाद वितरण और ऋृषि लंगर का भी आयोजन किया गया।
हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा