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पटना, 1 अगस्त (हि.स.)। जनसुराज पार्टी बिहार में अपने आप काे मजबूत कर रही है। इस दाैरान अलग अलग दलाें के नेता जनसुराज में शामिल हाे रहे है। इस क्रम में जनसुराज ने इस बार भाजपा झटका दिया है। भाजपा से पिछले ढाई दशकों से ज्यादा समय से जुड़े प्रमुख नेताओं ने अब जनसुराज का दामन थाम लिया है।
बिहार भाजपा के पूर्व महामंत्री सुधीर शर्मा, पूर्व भाजपा नेत्री विनीता मिश्रा और व्यवसायी एवं भोजपुरी कलाकार चेतना झाम समेत कई नेताओं ने शुक्रवार को जन सुराज का दामन थामा लिया। प्रशांत किशोर की मौजूदगी में भाजपा के नेताओं ने जनसुराज की सदस्यता ग्रहण की। पीके ने पूर्व भाजपा नेताओं और चेतना झाम के जनसुराज में आने पर इसे पार्टी की मजबूती और जन सरोकारों को समर्पित नेताओं में बढ़ती स्वीकृति करार दिया है।उन्होंने कहा कि जनसुराज के संकल्पों को साकार करने के लिए सुधीर शर्मा, विनीता मिश्रा, चेतना झाम प्रमुख आयाम बनेंगे।
सुधीर शर्मा का बड़े मतदाता वर्ग पर पड़ सकता है प्रभाव
सुधीर शर्मा का भाजपा के साथ पुराना जुड़ाव रहा है। हालांकि जनहित से जुड़े मुद्दों और पार्टी में समर्पित कार्यकर्ताओं को तरजीह नहीं दिए जाने से जुड़े सवाल उठाने पर सुधीर शर्मा को छह वर्ष के लिए भाजपा से निष्कासित किया गया था। पार्टी की अनुशासन समिति ने छह वर्षों के लिए उनकी प्राथमिक सदस्यता समाप्त करते हुए उन्हें पार्टी से निष्कासित किया था। अब विधानसभा चुनाव के पहले सुधीर शर्मा ने जनसुराज का दामन थाम कर पीके की पार्टी को मजबूती देने का संकल्प लिया है.। भूमिहार जाति से आने वाले सुधीर शर्मा का एक बड़े मतदाता वर्ग पर प्रभाव पड़ सकता है।
जनसुराज की हुई चेतना झामा, अब राजनीति में आजमायेंगी किस्मत
कॉल सेंटर से अपने करियर की शुरुआत कर फिर सॉफ्टवेयर कंपनी, मीडिया कंपनी और फिल्म निर्माण में सफलता हासिल करने वाली चेतना झाम एक सफल महिला उद्यमी के तौर पर भी पहचान रखती हैं। चेतना अब बिहार में फिल्म निर्माण को बढ़ावा दे रही हैं। अब सियासत के मैदान में उसी अनुरूप सफलता का परचम लहराने के लिए चेतना ने जनसुराज का बस्ता टंगा है।
27 वर्षों तक भाजपा के साथ रही विनीता मिश्रा
भाजपा की वरिष्ठ महिला नेता और पूर्व महिला मोर्चा उपाध्यक्ष रही विनीता मिश्रा आज जनसुराज में शामिल हाे गयी। उन्हाेंने पिछले महीने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। करीब 27 वर्षों तक भाजपा के साथ रही विनीता मिश्रा ने अपने इस्तीफे में लिखा कि, पिछले डेढ़ साल से वह अंदरूनी उथल-पुथल से जूझ रही थीं। पार्टी में बाहर से आए नेताओं की बढ़ती भीड़ के बीच उन्हें ऐसा महसूस होने लगा कि उनकी खुद की पहचान दबती जा रही है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब वह उस उद्देश्य और ऊर्जा के साथ पार्टी में काम नहीं कर पा रही थीं, जिससे उन्होंने शुरुआत की थी। अब जनसुराज के साथ जुड़कर वह अपने संगठनात्मक कौशल से पीके के अभियान को सफल बनाती नजर आएंगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / चंदा कुमारी